जेल में बंद कैदी देंगे मीठा स्वाद, की जा रही है ये खास व्यवस्था
हिमाचल के चंबा जिला कारगार में कैदियों को बेकरी के उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा इसके लिए आधुनिक मशीनरी वहां पहुंच चुकी है।
चंबा, जेएनएन। टीवी और सड़क पर लगे होर्डिंग्स पर यदि यह विज्ञापन दिखे कि यह है कैदियों द्वारा बनाई गई चॉकलेटी बिस्कुट या ब्रेड है तो चौंकिएगा नहीं। चंबा जिला कारागार में जल्द ही बेकरी खुलने जा रही है। यहां तैयार होने वाले उत्पादों का स्वाद आप भी ले सकेंगे। कारागार में बेकरी चलाने के लिए आधुनिक मशीनरी पहुंच चुकी है।
यह सब डीजी जेल सोमेश गोयल व एसडीएम शिवम प्रताप सिंह के प्रयासों से संभव हुआ है। सर्वप्रथम दस कैदियों की टीम बनाकर उन्हें बेकरी के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस कार्य में निपुण होने के बाद वे अन्य कैदियों को भी इसका हुनर सिखाएंगे।
प्रथम चरण में यहां तैयार होने वाले उत्पादों का स्वाद कैदी ही चखेंगे जबकि द्वितीय चरण में उनके द्वारा तैयार उत्पादों का स्वाद आम जनता भी ले सकेगी। विभाग द्वारा मुख्य बाजार चंबा अथवा आसपास के क्षेत्र में उत्पादों को बेचने के लिए विशेष व्यवस्था करने की योजना है। आरंभिक दौर में कैदी बिस्कुट, ब्रेड, पाव आदि बनाएंगे जिनका सेवन कैदी ही करेंगे। इसके बाद उन्हें अन्य उत्पाद जैसे टोस्ट, क्रीम रोल, ब्रेड, केक, पेस्ट्री, पेटीज, पिज्जा आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा और अधिक उत्पादन कर बाजार में उत्पादों की बिक्री की जाएगी।
यह प्रयास कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कारगर सिद्ध होगा। गत जनवरी माह में कैदियों द्वारा तैयार किए पाइन नीडल्स उत्पादों को भी पांगी हिल्स के सौजन्य से बाजार में उतारा गया है। पाइन नीडल्स से पैन स्टैंड, चपाती बॉक्स, फूलदान, फूल टोकरियों सहित कई अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। यह उत्पाद लोगों को भी खूब पसंद आ रहे हैं।
चंबा जिला कारागार के अधीक्षक शिवम प्रताप सिंह के अनुसार जिला कारागार में कैदियों के लिए बेकरी खोलने की व्यवस्था की गई है। मशीनरी पहुंच चुकी है। दस कैदियों को प्रशिक्षण देकर उनके द्वारा ही बेकरी संचालन किया जाएगा। भविष्य में कैदियों द्वारा तैयार उत्पादों को बाजार में भी उतारा जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश की मथुरा कारगार में भी कैदियों को बेकरी उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण देने की खबर आयी थी। मिली जानकारी के अनुसार ये प्रशिक्षण अत्याधुनिक मशीनों द्वारा दिया जा रहा था। इस बेकरी का सालाना टर्न ओवर लगभग दो करोड़ के आसपास बताया गया था। जेल में तैयार इन उत्पादों को पहले घर-घर में पहुंचाना का प्रयास किया गया और बाद में अन्य जिलों में।
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