चंबा की सरहद पर होगी नाकाबंदी, मिंजर मेले व मणिमहेश यात्रा को लेकर पुलिस ने कसी कमर
चंबा में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी एक साथ दो बड़े उत्सव होने जा रहे हैं। सुरक्षा के मुद्दे पर पुलिस अधिकारी दोनों आयोजनों को लेकर निरंतर बैठकें कर रहे हैं।
चंबा, सुरेश ठाकुर। अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला व प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के मद्देनजर पुलिस ने जिला की सीमाओं को सील करने का फैसला किया है। साथ ही आगामी दिनों में शहर में भी पुलिस की गश्त बढ़ाई जा रही है। पुलिस का इस वक्त सबसे ज्यादा ध्यान जम्मू-कश्मीर और पंजाब से जुड़ी सीमाओं पर है।
जिला के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जहां से इन दोनों राज्यों से पैदल भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। पांच वर्ष पूर्व जम्मू-कश्मीर से जुड़ी सीमाओं की सुरक्षा अद़र्धसैनिक बल के हवाले थी और प्रदेश पुलिस के जवान अंदरूनी हिस्सों में ही पहरा देते थे। इसके अलावा मिंजर मेले और मणिमहेश यात्रा के लिए बाहरी जिलों से पुलिस बल को चंबा बुलाया जाता रहा है। लेकिन केंद्र सरकार के अद्र्धसैनिक बल को हटाने के निर्देश के बाद दिसंबर 2012 में जम्मू-कश्मीर की सीमाओं पर स्थित चौकियों से अद्र्धसैनिक बल को वापस बुला लिया गया था। साथ ही उसके बाद हिमाचल पुलिस को ही सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी।
लिहाजा चंबा जिला में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी एक साथ दो बड़े उत्सव होने जा रहे हैं। इनमें से मिंजर मेले का रूतबा अंतराष्ट्रीय स्तर का है तो मणिमहेश में देशभर से तीर्थ यात्री चंबा का रुख करते हैं। सुरक्षा के मुद्दे पर पुलिस अधिकारी दोनों आयोजनों को लेकर निरंतर बैठकें कर रहे हैं और सुरक्षा की दृष्टि से प्लान भी तैयार किए जा रहे हैं। इसके तहत चंबा-पठानकोट हाईवे पर तुन्नुहट्टी में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने की योजना है। मुख्य मार्ग से चंबा की सीमा में दाखिल होने वाले सभी वाहनों की र्चेंकग का बंदोबस्त किया जा रहा है। जबकि जम्मू-कश्मीर की सीमा से जुड़े चंबा के क्षेत्र पर सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए जा रहे हैं। जबकि चंबा शहर में गुप्तचर एजेंसियां सक्रिय रहेंगी।
लिस करेगी पुख्ता इंतजाम : एसपी
पुलिस अधीक्षक डॉ. मोनिका का कहना है कि मिंजर व मणिमहेश यात्रा के मद्देनजर पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं। इस संबंध में बैठकों का दौर लगातार जारी है। जल्द ही बाहरी जिलों से पुलिस बल की मांग की जाएगी। यह व्यवस्था मणिमहेश यात्रा के संपन्न होने तक बनी रहेगी।
क्यों जरूरी है यह व्यवस्था
मिंजर मेले के दौरान 1998 में चंबा में आतंकवादी हमला हुआ था। इस भीषण नरसंहार में आतंकवादियों ने 35 लोगों को मौके पर ही गोलियां बरसा कर मौत के घाट उतार दिया था। जबकि कुछ लोगों को बंधक बनाकर अपने साथ ले गए थे। चंबा में मिंजर के इतिहास में 1998 का वो पल खूनी मिंजर के नाम से दर्ज है।