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मां भद्रकाली में लोगों की आस्था, है मान्‍यता प्रतिमा को पसीना आए तो समझो पूरी होगी मन्नत

पर्यटन नगरी डलहौजी से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्वयंभू प्रकट मां भद्रकाली भलेई माता का मंदिर न केवल जिला चंबा बल्कि समूचे हिमाचल सहित पंजाब व जम्मू के लोगों के लिए भी आस्था का प्रमुख केंद्र है। मां भद्रकाली में लोगों की असीम आस्था है।

By Richa RanaEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 12:36 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 12:36 PM (IST)
मां भद्रकाली में लोगों की आस्था, है मान्‍यता प्रतिमा को पसीना आए तो समझो पूरी होगी मन्नत
मां भद्रकाली में लोगों की असीम आस्था है। दिल से मां भद्रकाली से मांगी हर मन्नत पूरी होती है।

डलहौजी, विशाल सेखड़ी। पर्यटन नगरी डलहौजी से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्वयंभू प्रकट मां भद्रकाली भलेई माता का मंदिर न केवल जिला चंबा बल्कि समूचे हिमाचल सहित पंजाब व जम्मू के लोगों के लिए भी आस्था का प्रमुख केंद्र है। मां भद्रकाली में लोगों की असीम आस्था है। सच्चे दिल से मां भद्रकाली से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है।

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जिसके कारण लोग माता भलेई को जागती ज्योति के नाम से भी पुकारते हैं। मंदिर के गर्भ गृह में मां भलेई की दो फुट ऊंची काले रंग की प्रतिमा स्थापित है इस प्रतिमा को किसी कारीगर ने तैयार नहीं किया। बल्कि यह प्रतिमा भलेई गांव के समीप भ्राण नामक स्थान पर एक बावड़ी में प्रकट हुई थी। कहा जाता है कि वर्ष 1569 में चंबा रियासत के तत्कालीन राजा प्रताप सिंह को माता भलेई ने स्वप्न में दर्शन देकर बताया था कि वह (मां भलेई) भ्राण में एक बावड़ी में है और राजा तुम भ्राण आकर मुझे चंबा ले जाओ।

माता ने राजा को बताया इक भ्राण बावड़ी में उनकी प्रतिमा के साथ धन के तीन चरुए(बड़े बर्तन) भी मिलेंगे।  जिनमें से एक चरुए के धन से भलेई माता के मंदिर का निर्माण करवाया जाए। दूसरे चरुए के धन से गरीबों की मदद की जाए और तीसरे चरुए के धन को राजकोष में रखा जाए। मां भलेई के आदेश पर राजा प्रताप सिंह विद्वान ब्राह्मणों के साथ भ्राण पहुंचे जहां कि माता द्वारा स्वप्न में बताए गए अनुसार बावड़ी में माता भलेई की दो फुट ऊंची काले रंग की प्रतिमा के साथ धन के तीन चरुए मिले। पूर्ण विधि-विधान से माता भद्रकाली भलेई की मूर्ति को सुंदर पालकी में विराजमान करवाकर चंबा की ओर प्रस्थान किया गया। इसी बीच राजा, उनके दरबारी व ब्राह्मण भलेई में विश्राम करने के लिए भलेई में रुके और माता की पालकी को भी यहीं रखा गया। जिसपर एक बार फिर सो रहे राजा को मां भलेई ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि उन्हें यह स्थान भा गया है और अब वह चंबा नहीं जाएंगी।

माता ने राजा को भलेई में ही मंदिर का निर्माण करवाने के आदेश दिए। माता ने यह भी आदेश दिए कि उनके मंदिर में केवल पुरुष ही माता के दर्शन कर सकेंगे जबकि महिलाओं को मंदिर में दर्शनों की अनुमति नहीं होगी। माता के आदेश की पालना करते हुए राजा ने भलेई में मंदिर का निर्माण करवाया और माता की प्रतिमा की यहां स्थापना की गई। तब से यहां पर मां भलेई के जयकारे गूंज रहे हैं। खाली झोलियां भरने वाली माता भलेई के दरबार में नवरात्र के अलावा वर्ष भर हिमाचल, पंजाब व जम्मू-कश्मीर से भक्त शीश नवाकर झोलियां भर ले जाते हैं।

मंदिर की विशेषता

भलेई मंदिर का निर्माण शिखर शैली में किया गया है। जहां कि मंदिर के गर्भगृह में माता की दो फुट ऊंची काले रंग की चर्तुभुजा प्रतिमा स्थापित है। माता की प्रतिमा को देखकर ऐसा लगता है कि माता अभी अभी कुछ बोल कर चुप हुई है। वर्ष 1960 के दशक में अपन एक अन्नय भक्त चंबा निवासी दुर्गा बहन की भक्ति से प्रसन्न होकर मां भलेई ने स्वप्न में दर्शन दुर्गा बहन को सर्वप्रथम उनके दर्शन करने के आदेश दिए थे और कहा था कि इसके बाद महिलाएं भी मंदिर में मां भलेई के दर्शन कर सकती है।

मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि मां भलेई जब प्रसन्न होती हैं तो माता की काले रंग की प्रतिमा पर पसीना आता है। ऐसे में दर्शनों के लिए आने वाले भक्त कई कई घंटे तक मंदिर में बैठकर प्रतिमा पर पसीना आने का इंतजार करते हैं। माना जाता है कि प्रतिमा को पसीना आना इस बात का संकेत होता है कि मांगी की मन्नत अवश्य पूरी होगी।

ऐसे पहुंचें भलेई माता मंदिर

समुद्रतल से लगभग 3800 फुट की ऊंचाई पर बसे भलेई गांव में स्थित माता भलेई का मंदिर स्थित है। चंबा व सलूणी से यह मंदिर करीब 40 किलोमीटर दूर जबकि डलहौजी से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है। दूसरे राज्यों से भक्त पठानकोट से बनीखेत वाया गोली चौहड़ा सड$क होकर अथवा बनीखेत से वाया खैरी मार्ग होते हुए मंदिर आ सकते हैं। सच्चे दिल से मांगी मन्नतें पूरी करती है मां भलेई माता मंदिर के मुख्य पुजारी डॉक्टर लोकी नंद शर्मा का कहना है कि सच्चे दिल से मांगी गई हर मन्नत मां भद्रकाली भलेई पूरी करती है। शर्मा का कहना है कि मां भलेई जब प्रसन्न होती हैं तो माता की प्रतिमा पर पसीना आता है। पसीना इस बात का संकेत होता है कि मांगी गई मन्नत पूरी होगी। माता के आर्शीवाद से ही हो रहा मंदिर का विकास भलेई माता मंदिर प्रबंधक समिति के अध्यक्ष कमल ठाकुर का कहना है कि माता के आर्शीवाद से ही मंदिर का विकास हो रहा है। ठाकुर का कहना है कि भलेई मंदिर हिमाचल ,पंजाब व जम्मू के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।


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