सराहन पंचायत के नौ गांव आज भी सड़क से वंचित
ग्राम पंचायत सराहन के अंतिम छोर पर स्थित चुल्ला, फोलगत, बसदौर, सैला, राख, नघुईं, मरैरी, राख, नगोनी गांवों में आजादी के बाद भी सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है।
दिक्कत
- गांव में बीमार होने पर पीठ या पालकी का होता है सहारा
- लोगों ने विभाग व सरकार से उठाई समस्या के समाधान की मांग
संवाद सहयोगी, साहो : ग्राम पंचायत सराहन के अंतिम छोर पर स्थित चुल्ला, फोलगत, बसदौर, सैला, राख, नघुई, मरैरी, राख और नगोनी गांवों में आजादी के बाद भी सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है। इससे ग्रामीणों को मीलों पैदल सफर करने के बाद मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन व सरकार से इन गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने की कई बार मांग उठाई, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। स्थानीय लोगों का कहना है कि उक्त गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए कई बार अधिकारियों व नेताओं से मिल चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लोगों को आज भी राशन व अन्य जरूरी सामान पीठ पर उठाकर ले जाना पड़ता है। इसके अवाला जितना खर्च सामान उक्त सड़क तक पहुंचाने में लगता है, उससे अधिक खर्च घर तक सामान पहुंचाने में लग जाता है। लोगों ने मांग की है कि जल्द ही साहो के सभी गांवों तक सड़क पहुंचाई जाए, जिससे लोगों को दिक्कत का सामना न करना पड़े। उक्त गांवों में सड़क सुविधा लोगों के लिए सपना बनकर रह गई है। सड़क सुविधा नहीं मिलने के कारण लोगों की दिक्कत बढ़ी हुई है। ग्रामीण कई बार सड़क सुविधा देने की मांग कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद आज दिन तक सुविधा नहीं मिली है।
टेक चंद, निवासी सैला। सड़क के अभाव में ग्रामीणों को गृह निर्माण सामग्री सहित अन्य सामान को गांव तक पहुंचाना काफी मुश्किल है। मुख्य सड़क से या तो घोड़े-खच्चरों के माध्यम या फिर पीठ पर उठाकर सामान गांव में पहुंचाना पड़ता है। जिसमें अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ती है।
चमन कुमार, निवासी चुल्ला। सरकार द्वारा कई गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ा जा चुका है, लेकिन सराहन पंचायत के उक्त गांवों तक सड़क पहुंचाने के लिए कुछ खास प्रयास नहीं किया जा रहा है। ऐसे में ग्रामीणों में रोष है। सड़क जल्द पहुंचाने के प्रयास किए जाएं।
विक्की टंडन, निवासी चुल्ला। सड़क नहीं होने का सबसे अधिक नुकसान यह है कि मरीज को अस्पताल जल्द नहीं पहुंचाया जा सकता है। मरीज को पहले गांव से सड़क तक पहुंचाने के लिए पीठ या पालकी का सहारा लेना पड़ता है। उसके बाद गाड़ी के माध्यम से अस्पताल तक पहुंचाया जाता है।
उत्तम कुमार, निवासी चुल्ला। सरकार की ओर से हर गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। कई गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ा जा चुका है, जो गांव सड़क से अछूते हैं उन्हें भी सड़क सुविधा से जोड़ने का प्रयास है, ताकि लोगों को दिक्कत का सामना न करना पड़े।
पवन नैय्यर, सदर विधायक चंबा। विभाग गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए प्रयासरत है। लोग सड़क के बीच में आने वाली जमीन को विभाग के नाम करवाएं, ताकि गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ा जा सके। लोगों को विभाग तथा सरकार का सहयोग करना होगा।
जीत ¨सह, अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण विभाग चंबा।