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मां भलेई के दरबार में कोरोना के खात्मे की दुआ मांग

सातवें नवरात्र पर सोमवार को देवी के स्वरूप कालारात्रि के रूप में स्वयंभू प्रकट मां भद्रकाली भलेई के दरबार में करीब 900 भक्तों ने शीश नवाया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 06:13 AM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 06:13 AM (IST)
मां भलेई के दरबार में कोरोना के खात्मे की दुआ मांग
मां भलेई के दरबार में कोरोना के खात्मे की दुआ मांग

संवाद सहयोगी, डलहौजी : सातवें नवरात्र पर सोमवार को देवी के स्वरूप कालारात्रि के रूप में स्वयंभू प्रकट मां भद्रकाली भलेई के दरबार में करीब 900 भक्तों ने शीश नवाया। भक्तों ने माता से संपूर्ण विश्व में शांति के साथ ही कोरोना महामारी के अंत की भी कामना की।

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सोमवार को भलेई मंदिर में तड़के ही भक्तों के आने का क्रम शुरू हो गया था और यह सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। मंदिर में पहुंचने वाले भक्तों ने मुंह पर मास्क पहने हुए थे तथा कोरोना के संबंध में जारी किए गए दिशा-निर्देश का भी पालन कर रहे थे। जबकि मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य व पुलिस कर्मचारी मंदिर में व्यवस्थाएं बनाए रखने में जुटे रहे।

भक्तों ने अपनी बारी आने पर मंदिर के गर्भगृह के बाहर से ही मां भगवती भलेई के दर्शन किए। वहीं मंदिर में चल रहे दुर्गा सप्तशती के पाठ का भी श्रवण किया। मंदिर में सारा दिन मां भलेई के जयकारे गूंजते रहे। वहीं सोमवार को काफी संख्या में भक्तों की आमद से स्थानीय व्यापारियों के चेहरे भी खिल गए। पहले नवरात्र से लेकर पांचवें नवरात्र तक भक्तों की संख्या में रोजाना कमी दर्ज की जा रही थी। जिससे भलेई बाजार के दुकानदारों को मंदी झेलनी पड़ रही थी। लेकिन जैसे-जैसे भक्तों की आमद में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे-वैसे व्यापारियों को अच्छा व्यापार होने की उम्मीद जग रही है।

मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष कमल ठाकुर ने कहा कि मंदिर परिसर में कोरोना से बचाव के लिए सरकार द्वारा जारी सभी निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जा रही है। मंगलवार को अष्टमी के पावन अवसर पर मंदिर परिसर में सुबह 6.30 बजे मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य व पुजारी विशेष पूजा अर्चना करेंगे। पाठ भी संपूर्ण होगा। मंदिर में भंडारों का भी आयोजन नहीं किया जा रहा है जबकि भक्त भी कोरोना से बचाव उपायों की पालना करते हुए ही मां भलेई के दर्शन कर रहे हैं। कमल ठाकुर ने बताया कि कंजक पूजन व सुबह व शाम के समय होने वाली आरती में भी मंदिर प्रबंधक समिति के सदस्य व पुजारी समिति संख्या में ही शामिल हो रहे हैं।


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