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चंबा की दो महिलाएंशिल्पकार राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित

भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने चंबा की दो महिला कलाकारों को चंबा रूमाल शिल्प के लिए राष्ट्रीय मेरिट पुरस्कार के लिए चुना है। मस्तो देवी तथा दिनेश कुमारी को जल्द ही राष्ट्रीय मेरिट पुरस्कार से नवाजा जाएगा। पुरस्कार के तहत उन्हें 75 हजार रुपये तथा कौशलता प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। गौरतलब है कि हाल ही के वर्षों में चंबा की अनेक युवतियों ने चंबा रूमाल शिल्प की भव्यता से आकर्षित होकर इस कला को अपनी आजीविका का आधार बनाया है। दिनेश कुमारी क्राफ्ट शिक्षक के पद से सेवानिवृत हैं। मस्तो देवी एक निजी प्रशिक्षण केंद्र में युवतियों को निशुल्क प्रशिक्षण देती हैं। इन महिला कलाकारों द्वारा

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 07:16 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 06:21 AM (IST)
चंबा की दो महिलाएंशिल्पकार राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित
चंबा की दो महिलाएंशिल्पकार राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित

संवाद सहयोगी, चंबा : भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय ने चंबा की दो महिला कलाकारों को चंबा रूमाल शिल्प के लिए राष्ट्रीय मेरिट पुरस्कार के लिए चुना है। मस्तो देवी तथा दिनेश कुमारी को जल्द ही राष्ट्रीय मेरिट पुरस्कार से नवाजा जाएगा। पुरस्कार के तहत उन्हें 75 हजार रुपये तथा कौशलता प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। गौरतलब है कि हाल ही के वर्षो में चंबा की कई युवतियों ने चंबा रूमाल शिल्प की भव्यता से आकर्षित होकर इस कला को अपनी आजीविका का आधार बनाया है। दिनेश कुमारी क्राफ्ट शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हैं। मस्तो देवी एक निजी प्रशिक्षण केंद्र में युवतियों को निशुल्क प्रशिक्षण देती हैं। इन महिला कलाकारों द्वारा निर्मित रूमाल के डिजाइन पदमश्री चित्रकार विजय शर्मा तथा स्वर्गीय हंस राज धीमान ने तैयार किए थे। चंबा शिल्प परिषद ने दोनों कलाकारों को बधाई दी है। पद्मश्री विजय शर्मा ने कहा कि निश्चय ही इन पुरस्कारों से पुन: चंबा की कलात्मक धरोहर की गरिमा में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि चंबा रूमाल की अपनी खासियत है। इस पर कलाकारों द्वारा बनाए जाने वाले चित्र हाथों से उकेरे जाते हैं। उन्होंने कहा कि चंबा रूमाल के लिए उक्त महिला कलाकारों का कार्य काफी सराहनीय रहा है। कैसे बनाया जाता है रूमाल

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चंबा रूमाल रेशम व सूती प्लेन कपड़ों पर दोनों ओर एक सम्मान दो टांकों के साथ कढ़ाई के रूप में उकेरने से तैयार किया जाता है। एक छोटे से रूमाल के लिए एक दिन व टेबल, दीवार फ्रेम व बिस्तर की चादर के लिए एक सप्ताह से लेकर दो माह का समय लग जाता है। जिसका मुख्य कारण चंबा कढ़ाई में इस्तेमाल होने वाला टांका बेहद बारीकी से लगाया जाता है। रूमाल की खासियत

विश्व प्रसिद्ध चंबा रूमाल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस कढ़ाई युक्त रूमाल में उल्टा-सीधा भाग दोनों एक सम्मान है। मार्केट वैल्यू

चंबा रूमाल की मार्केट वैल्यू उसके आकार व डिजाइन पर निर्भर करती है। यह रूमाल बाजार में 50 से लेकर पांच लाख तक अपनी कीमत रखता है, जिसमें राधा-कृष्ण रासमंडल, गद्दी-गदन व धार्मिक देवताओं सहित साड़ी पर उकेरी अनार कली बेल का सबसे अधिक मूल्य है।


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