अब बत्ती गुल होने से भी होंगे मेडिकल टेस्ट
पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चंबा में अब बिजली गुल होने पर मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए दर-दर की ठोकरे नही खानी पडेंगी।
जागरण संवाददाता, चंबा : पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चंबा में अब बिजली गुल होने पर मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें नहीं खानी पडे़ंगी। कॉलेज प्रबंधन ने अल्ट्रासाउंड सहित एक्सरे व जनरल लैब के लिए दस लाख की लागत से जेनरेटर खरीदने का निर्णय लिया है। मेडिकल कॉलेज चंबा की कार्यकारी समिति की बैठक में उक्त निर्णय लिया गया है।
बैठक की अध्यक्षता मेडिकल कॉलेज चंबा के प्रचार्य डॉ. पीके पुरी ने की। बैठक के दौरान मेडिकल कॉलेज के विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। पीके पुरी ने बताया कि चंबा जिला में बिजली व्यवस्था बाधित होने पर शहर में कहीं भी टेस्ट करवाने की कोई भी व्यवस्था नहीं है, जिस कारण मरीजों को आपातकालीन स्थिति में अल्ट्रासाउंड सहित अन्य टेस्ट करवाने के लिए जिला से बाहर का रुख करना पड़ता है। इस कारण कई मरीजों को तो अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ा है। लिहाजा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा जेनरेटर की व्यवस्था करने के लिए उठाए गए निर्णय से चंबा की लाखों की आबादी को राहत मिलने वाली है। जेनरेटर स्थापित होने के बाद जिला में बिजली व्यवस्था बाधित होने पर मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। बैठक में मेडिकल कॉलेज चंबा में 10 अतिरिक्त व्हीलचेयर खरीदने का निर्णय भी लिया है, ताकि चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों को मेडिकल कॉलेज में कोई असुविधा न हो। वहीं अब मेडिकल कॉलेज चंबा में जन्म लेने वाले बच्चों का प्रमाणपत्र भी मेडिकल कॉलेज द्वारा ही जारी किया जाएगा। अब बच्चे के जन्म के बाद अभिभावकों को जन्म प्रमाणपत्र के लिए सीएम कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन द्वारा बाकायदा कंप्यूटर सहित सभी डाटा अपडेट कर दिया है। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज चंबा के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनोद शर्मा सहित अन्य सदस्य मुख्य रूप से मौजूद रहे।
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ऑनलाइन होंगे विकलांग प्रमाणपत्र
मेडिकल कॉलेज चंबा में विकलांग प्रमाणपत्र ऑनलाइन हो जाएंगे। कॉलेज द्वारा तैयार की गई वेबसाइट पर प्रमाणपत्र को अपलोड किया जा रहा है। इससे प्रमाणपत्र का सत्यापन कराने के लिए सीएमओ दफ्तर का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। सीएमओ दफ्तर पर विकलांग प्रमाणपत्र बनवाने के लिए हर बुधवार व शनिवार को भीड़ लगी रहती थी। महीने भर में 100 से अधिक विकलांग प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं। जब कभी किसी विभाग द्वारा विकलांग प्रमाणपत्र को सत्यापन के लिए भेजा जाता है, तो संबंधित दिव्यांग व्यक्ति को सीएमओ दफ्तर का चक्कर लगाना पड़ता है। संबंधित लिपिक प्रमाणपत्र का बंडल ढूंढ़ने की बात कहकर कई बार दौड़ाते हैं। लिहाजा अब उक्त व्यवस्था के बाद दिव्यांग व्यक्तियों को ऑनलाइन प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे, ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो।