भांदल पंचायत के कई गांवों अब भी सड़क नहीं
मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने मंगलवार को प्रेस वार्ता की । इस मौके पर उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार जनजातीय क्षेत्र में तानाशाही रवैया अपना रही हैं। इस मौके पर उन्होंने बताया कि सरकार केवल भाजपा के चहेतों के किए ही कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भरमौर में चिकित्सकों की कमी के कारण जनजातीय क्षेत्र भरमौर के लोगों को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज चंबा जाना
सवांद सहयोगी, सलूणी : उपमंडल किहार सेक्टर के संघनी के दर्जनों गांव ऐसे हैं जो आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। भले ही आजादी के सात दशक हो गए हों मगर इनके लिए कोई मायने नहीं है। हालांकि इनकी पंचायत का निचला क्षेत्र आज सड़क माध्यम से जम्मू-कश्मीर के साथ जुड़ चुका है लेकिन इनके लिए सड़क मार्ग से जुड़ना एक सपने के समान है।
क्षेत्र के ग्रामीण दुविधा में अपना जीवनयापन कर रहे हैं। ग्राम पंचायत भांदल के गांव परेड, सूं, बढ़ेई, पथवाल, पुथियाल, शगोड़ी, धमोगी, खड़कयाली, सिराजु मागरा में आज तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। स्थानीय लोगों में शबीर, असलम, फ़कीर, मोहम्मद आरिफ, नूर मोहम्मद, शेरू, राकेश, सुरेंद्र, महबूब, मजीद, यूनस व जहूर आदि ने बताया कि उनके गांव की लगभग 600 की आबादी है। जहां आजतक कोई भी सड़क सुविधा नही है। सरकारें आती रहीं जाती रहीं मगर उनकी समस्या पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसका खामियाजा गांव की गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है। बीते कुछ माह पूर्व एक महिला जो टांडा में इलाज करवा रही थी। उसे छुट्टी के बाद घर लाया गया तो सड़क से पालकी में डालकर उसके घर पथवाल ग्रामीणों की सहायता से पहुंचाना पड़ा। स्थिति तब खराब हो जाती है जब किसी गर्भवती महिला को अस्पताल तक लाना पड़े तो उसकी जान पर बन आती है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके क्षेत्र को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए। ताकि उन्हें परेशानी न झेलनी पड़े।
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क्षेत्र के उक्त गांव लिए सड़क के बारे में सर्वे किया गया है। इस बारे में उच्च अधिकारी कागजी औपचारिकताओं को पूरी करने में जुटे हुए हैं। जैसे ही स्वीकृति व बजट आ जाएगा तो सड़क निर्माण का कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।
-मनोज टंडन, सहायक अभियंता सलूणी।
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पंचायत के गांव के लिए सड़क के बारे में कई बार पंचायत में प्रस्ताव को पारित किय गया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इस कारण लोगों को रोजर्मरा का सामान पीठ पर उठाना पड़ता है।
-याकूब मागरा, ग्राम पंचायत भांदल प्रधान।