मणिमहेश यात्रा मुश्किल डगर पर आस्था की डुबकी
पथरीले रास्ते पर रोमांच से भरपूर इस यात्रा में कई जोखिम भी हैं। मान्यता है कि मणिमहेश झील में डुबकी लगाने से मनोकामना पूरी होती है।
चंबा, जेएनएन। उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा जन्माष्टमी पर 15 अगस्त से शुरू होगी। यात्रा का समापन 29 अगस्त को राधाअष्टमी के पवित्र स्नान के साथ होगा। मणिमहेश झील में पवित्र स्नान के लिए हर साल प्रदेश के अलावा देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं। पथरीले रास्ते पर रोमांच से भरपूर इस यात्रा में कई जोखिम भी हैं। मान्यता है कि मणिमहेश झील में डुबकी लगाने से मनोकामना पूरी होती है।
प्रशासन ने बनाए 13 सहायता कक्ष
- आठ सहायता कक्ष हड़सर व इसके आगे स्थापित। यात्रा से संबंधित पूरी जानकारी मिलेगी। पुलिस सहायता कक्ष भी बनेंगे।
- पुलिस के 405 जवान व 266 गृहरक्षक चप्पे-चप्पे पर नजर रखेंगे।
आज से मिलेगी हेली टैक्सी
- भरमौर से गौरीकुंड तक हेली टैक्सी सुविधा 11 अगस्त से मिलेगी। एक तरफ का किराया 1490 रुपये है। गौरीकुंड से करीब दो किलोमीटर आगे मणिमहेश तक पैदल जाना होगा।
कैसे पहुंचें मणिमहेश
- जिला मुख्यालय चंबा से करीब 80 किलोमीटर दूर हंड़सर तक बस योग्य मार्ग।
- हड़सर से मणिमहेश डल झील तक करीब 13 किलोमीटर पैदल खड़ी चढ़ाई।
क्या हैं तैयारियां
- मेडिकल कैंप शुरू। सीएचसी होली, कुगती, भरमौर, हड़सर, धनछो, सुंदरासी, गौरीकुंड व डल पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें तैनात।
लंगर की भी व्यवस्था
- यात्रा के दौरान मुख्य स्थानों पर लंगर की व्यवस्था है। लंगर समितियां लंगर लगाती हैं।
रेस्क्यू टीमें तैनात
- मनाली से आठ इंस्ट्रक्टर व एक रेस्क्यू मास्टर की अगुवाई में कई टीमों का गठन। भरमौर, क्लाह, कुगती, हड़सर, धनछो, सुंदरासी, गौरीकुंड व डल पर आपदा की स्थिति पर रखेंगी नजर।
- हड़सर से धनछो तक लंगर समितियां बिजली की व्यवस्था करेंगी। विद्युत बोर्ड द्वारा धनछो, गौरीकुंड व डल झील में सोलर प्लांट से बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी।
- लंगर समितियां को डल झील की सफाई व शौचालयों के प्रबंध का जिम्मा।
- श्रद्धालुओं के वाहनों के लिए हड़सर व सूंकू दी टपरी में दो हजार वाहनों की पार्किंग व्यवस्था।
यात्रा के लिए पंजीकरण नहीं
- सीसीटीवी कैमरों से रखेंगे हर यात्री पर नजर। हड़सर से मणिमहेश तक 16 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
क्या बरतें सावधानी
- यदि कोई श्रद्धालु अस्वस्थ है तो दवा साथ रखे।
- बारिश से बचाव के लिए छाता, रेनकोट साथ हो।
- रास्ता पथरीला व फिसलन भरा है। रात में सफर न करें।
- मणिमहेश डल झील में ठंड होती है। गर्म कपड़े साथ रखें।
- किसी संकट में फंसने पर तत्काल सहायता कक्ष से संपर्क करें।
- मौसम खराब होने पर यात्रा जारी न रखें। किसी सुरक्षित स्थान पर रुकें।
ये हैं चुनौतियां
- चंबा से हड़सर तक सड़क की चौड़ाई कम व गड्ढे होने से वाहन चालकों को दिक्कत।
- हड़सर से मणिमहेश पहुंचने के लिए टेड़े-मेड़े व खड़े रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। भूस्खलन का खतरा।
- हड़सर से करीब सात किलोमीटर आगे धनछो है। धनछो से गुजरते ही ऑक्सीजन की कमी होने पर सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।