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पढ़ने के तलबगार, सीट का इंतजार

जिला पुस्तकालय चंबा में पढ़ने के तलबगार तो हैं, लेकिन यहां पर बैठने के लिए जगह नहीं मिलती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 10:53 AM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 10:53 AM (IST)
पढ़ने के तलबगार, सीट का इंतजार
पढ़ने के तलबगार, सीट का इंतजार

- 50 वर्ष बाद भी नहीं बदला जिला पुस्तकालय चंबा का स्वरूप

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- 44 पाठकों की है पुस्तकालय में बैठने की क्षमता

- 5000 पुस्तकें हैं मौजूद, पुराने कॉलेज के एक हाल में चल रहा पुस्तकालय रणवीर ¨सह, चंबा

सरकारें बदलीं, अधिकारी बदलें नहीं बदल सका तो चंबा पुस्तकालय का स्वरूप। वर्ष 1959 में अस्तित्व में आए चंबा पुस्तकालय में शुरुआत में पांच पाठक मिले। इनका दायरा आज बढ़कर 580 तक पहुंच गया है। लेकिन पुस्कालय में कोई बदलाव नहीं हुआ। हालत ऐसी है कि पढ़ने के तलबगार तो हैं, लेकिन सीट का इंतजार लंबा है।

जिला पुस्तकालय चंबा की बात करें तो मौजूदा समय में पाठकों के बैठने के लिए केवल 44 कुर्सियां हैं। यहां जो पहले पहुंचा वह कुर्सी पर बैठ जाता है और जो देरी से पहुंचा उसे कुर्सी खाली होने का इंतजार करना पड़ता है या फिर मेडिकल कॉलेज के कैंपस में बैठना पड़ता है। इस बारे में कई बार लोग जिला प्रशासन के समक्ष पुस्तकालय में व्यवस्था को सुधार करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन लोगों को केवल आश्वासन ही मिले हैं। 50 वर्ष पूरे होने के बाद भी यहां पुराने कॉलेज के एक हाल ही में पुस्तकालय को चलाना पड़ रहा है।

पुस्तकालय में पुस्तकों की भी कोई कमी नहीं है। यहां करीब पांच हजार पुस्तकों को रखा गया है। वहीं, स्टाफ की कमी से भी यहां व्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया है। जिला पुस्तकालय में बीते नौ वर्ष से लाइब्रेरियन का पद रिक्त चल रहा है। वर्ष 2009 में लाइब्रेरियन का तबादला चंबा से हो गया था, जिसके बाद यहां रिक्त पद को नहीं भरा गया है। पुस्तकालय में इन दिनों रोजाना तीन से चार लोग अपना पंजीकरण करवाने के लिए आ रहे हैं। मौजूद स्टाफ को पंजीकरण के दौरान ही पुस्तकालय की स्थिति को बताना पड़ता है, ताकि बाद में लोगों को दिक्कत न हो। पंजीकरण के बाद यहां पुस्तकों को पढ़ने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। यहां सुबह नौ से शाम पांच बजे तक पाठकों की आवाजाही लगी रहती है। कई लोग तो उम्मीद लगाए बैठे हैं कि पुस्तकालय के स्वरूप में बदलाव होता है तो उसके बाद ही वे पंजीकरण करवाएंगे। पुस्तकालय में पाठकों के बैठने के लिए काफी कम जगह है। यहां केवल 44 ही कुर्सियां हैं, जबकि पाठकों की संख्या करीब छह सौ है। इसके कारण दिक्कत पेश आती है। पाठक मजबूर होकर पुस्तकालय के बाहर मेडिकल कॉलेज के कैंपस में बैठ रहे हैं।

चैन लाल, जिला पुस्तकालय अधिकारी चंबा।


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