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आज खुलेंगे कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट

भरमौर उपमंडल भरमौर में स्थित ऐतिहासिक कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट करीब पांच माह के लंबे इंतजार के बाद 14 अप्रैल को खुलेंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 03:31 AM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 03:31 AM (IST)
आज खुलेंगे कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट
आज खुलेंगे कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट

संवाद सहयोगी, भरमौर : उपमंडल भरमौर में स्थित ऐतिहासिक कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट करीब पांच माह के लंबे इंतजार के बाद 14 अप्रैल को खुलेंगे। कपाट खुलने के पहले दिन श्रद्धालु पूजा-अर्चना करेंगे तथा कार्तिकेय स्वामी के दर्शन कर पाएंगे। कार्तिक स्वामी का यह भव्य मंदिर भरमौर मुख्यालय से करीब 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भरमौर से 26 किलोमीटर तक वाहन में सफर तय करना पड़ता है, जबकि शेष बचे सात किलोमीटर का सफर श्रद्धालुओं को पैदल तय करना पड़ता है। इस सफर को तय करके सैकड़ों श्रद्धालु शिव पुत्र कार्तिक के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचते हैं। कुगति स्थित कार्तिक स्वामी (केलंग बजीर) मंदिर के कपाट 30 नवंबर को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए बंद हो गए थे। सर्दियों में कार्तिक मंदिर कुगति में बर्फबारी होने के कारण श्रद्धालुओं का आना-जाना काफी जोखिम भरा रहता है। मणिमहेश यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु पवित्र डल की परिक्रमा करने के उपरांत कार्तिक स्वामी के दर्शन करने के लिए अवश्य जाते हैं। इसके अतिरिक्त मणिमहेश यात्रा पर लाहुल-स्पीति से वाया कुगति होकर आने वाले शिव भक्त भी सर्वप्रथम शिव पुत्र कार्तिक स्वामी के दर्शन करने के बाद ही मणिमहेश का रुख करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मणिमहेश यात्रा के दौरान सर्वप्रथम कार्तिक स्वामी के दर्शन करते हैं, उन्हें यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। कार्तिक मंदिर के पुजारी का कहना है कि प्राचीन परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी बैसाखी के दिन कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट 14 अप्रैल को खुल जाएंगे। स्थानीय लोगों में कार्तिक स्वामी के प्रति काफी आस्था है। जब कपाट बंद हो जाते हैं, तो लोगों को फिर से मंदिर के कपाट खुलने का इंतजार रहता है, ताकि वे अपने आराध्य देवता कार्तिक स्वामी के दर्शन कर उनसे मन्नत मांग सकें। यहां पर जो भी श्रद्धालु सच्ची श्रद्धा से मन्नत मांगता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर परिसर में पहुंचने पर शांति का अनुभव होता है। इसलिए यहां पर हर श्रद्धालु पहुंचकर शीश नवाना चाहता है।

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