Move to Jagran APP

होली पर्व पर जगत पंचायत में निकाला हरनोटा

होली खेली तो दूसरी ओर दूसरे भाग में होली के अवसर परहरणातरनिकाल कर होली मनाई गई। ग्राम पंचायत जगत स्थित चामुंडा माता मंदिर से हरणातर का शुभारम्भ किया गया। हरणातर की इस टोली ने ग्राम पंचायत जगत व रुणुहकोठी के थपला जगत भटाड़ा लघौता मसोड़ सामरा रुणुहकोठी आदि गांवों में

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 07:23 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 07:23 PM (IST)
होली पर्व पर जगत पंचायत में निकाला हरनोटा
होली पर्व पर जगत पंचायत में निकाला हरनोटा

संवाद सहयोगी, भरमौर : गद्दी समुदाय में एक ही त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाने की परंपरा है। जहां होली त्योहार पर भरमौर मुख्यालय के आसपास के लोगों ने ब्रज की तर्ज पर रंगों की होली खेली तो वहीं दूसरी तरफ 'हरणातर' निकाल होली मनाई गई। पंचायत जगत स्थित चामुंडा माता मंदिर से हरणातर का शुभारंभ किया गया। हरणातर की इस टोली ने पंचायत जगत व रुणुहकोठी के थपला, जगत, भटाड़ा, लघौता, मसोड़, सामरा, रुणुहकोठी गांवों में जाकर 'हरनोटा' गाया। हरनोटे की टोली में शामिल पांच चंदरोली व मुखौटे पहने 'बुढ्ढा, बुढ्ढी व रौलू' का किरदार करने वाले लोग घर-घर से हरनोटा एकत्रित करते हैं। हरणातर की यात्रा चामुंडा माता मंदिर में जाकर समाप्त हो गई। जहां लोगों ने होलिका दहन के साथ शिवरात्रि के दौरान भगवान शिव के साथ पहुंचने वाले भूत प्रेतों को घरों में प्रवेश करने से रोकने के लिए लगाए गए दैवीय गुणों वाले पौधों के कांटों को भी जला दिया। हरनोटा समिति सदस्य बाली राम शर्मा ने बताया हरणातर गद्दी समुदाय की प्राचीन परंपरा है, लेकिन आज यह मात्र कुछ एक गांवों तक सीमित होकर रह गया है।

loksabha election banner

------------

बारिश व बर्फबारी के बीच खेली होली

भरमौर में बुधवार सुबह बारिश व हिमपात होने के बावजूद लोगों में होली का उत्साह कम नहीं हुआ। युवकों की टोलियां गली-गली से निकल कर लोगों को रंग में सराबोर कर ही थी तो बच्चों की टोलियां भी एक दूसरे को रंग लगाने में व्यस्त थीं। दिनभर होली खेलने के बाद बच्चों ने घर-घर जाकर होली दहन के लिए अनाज व सूखे मेवे का प्रसाद एकत्रित किया। स्थानीय बोली में इसे 'टहाड़े' कहा जाता है। पंडित ईश्वर दत्त शर्मा ने बताया पूर्णिमा की समाप्ति व कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा के बीच के समय होलिका दहन फलदायी है। भरमौर उपमंडल में होली मनाने के भी अपने रंग व परंपराएं हैं। एक और भरमौर मुख्यालय के आसपास होली मनाने के तरीके पर शेष भारत की ब्रज होली की छाप गहरी होती दिख रही है। इस कारण यहां पहले दिन होलिका दहन के बाद दूसरे दिन भी होली खेली जाएगी। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि मुख्यालय में सैकड़ों सरकारी गैर सरकारी कर्मचारी देश के विभिन्न हिस्सों से तैनात हैं। जो अपनी परम्परा अनुसार होली का त्योहार सरकारी कैलेंडर के अनुसार मनाते हैं। होलिका दहन के बाद 21 मार्च को भी होली खेली जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.