मां की ममता के आगे हारा कोरोना
मां अपने बच्चों को हर तकलीफ व मुसीबतों से बचाती है। ऐसी ही एक मां की ममता के आगे कोरोना हार गया।
विक्रांत ठाकुर, सलूणी (चंबा)
मां अपने बच्चों को हर तकलीफ व मुसीबतों से बचाती है। चाहे इसके लिए उसे खुद की जिंदगी भी दांव पर क्यों न लगानी पड़ जाए। ऐसे ही एक मामले में मां की ममता के आगे कोरोना को हार माननी पड़ी। चंबा जिला के सलूणी उपमंडल की खड़जौता पंचायत के सियूंल गांव की रहने वाली नीचणू देवी की दो साल की बेटी रजनी एक साल पहले कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गई। बच्ची पहले से ही दिल की गंभीर तकलीफ से भी पीड़ित थी। इस खबर से मां सहित पूरा परिवार चिता के कारण रातभर सो नहीं सका। यह एक ऐसी महामारी थी, जिससे अपने भी दूर भागते थे।
एक दूध पीती बच्ची को खुद से दूर रखना एक मां के लिए असंभव था। मां ने हिम्मत नहीं हारी और बच्ची के साथ खुद रहने का हठ किया। सुबह हुई तो बच्ची को लेने एंबुलेंस आ गई। मां ने बेटी को छाती से लगाकर सड़क तक पहुंचाया। फिर एंबुलेंस में बेटी को गोद में बिठाकर करीब 80 किलोमीटर का सफर तय कर जिला मुख्यालय चंबा के कोविड सेंटर बालू (आयुर्वेदिक अस्पताल) पहुंची। यह एक ऐसा दौर था, जब कोरोना ने चंबा सहित क्षेत्र में कदम रखा था। लोग डरे हुए थे। ऐसे में हर कोई नजदीक आने से कतरा रहा था। प्रदेश सहित चंबा में दो साल के बच्चे के संक्रमित आने का भी पहला मामला था। इस भय के बीच मां ने बहादुरी और त्याग का परिचय देते देते हुए कोविड केयर सेंटर में करीब एक माह तक दिन रात बेटी को छाती से लगाकर कोरोना से जंग लड़ी। मां भी कोरोना की चपेट में आ गई लेकिन हिम्मत, साहस और एक मां की ममता के आगे कोरोना हार गया। इस दौरान घर की चारदीवारी में रहे परिवार के सदस्यों ने भी हर पल चिता में काटा। आज बेटी तीन साल की हो गई है और परिवार व गांव के बच्चों के साथ हंसती खेलती बढ़ रही है।
बकौल नीचणू, कोरोना महामारी से घबराएं नहीं, धैर्य और हिम्मत से काम लेते हुए सख्ती से नियमों का पालन करें। ऐसा करने से कोरोना तो क्या किसी भी आपदा को हराया जा सकता है।