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दलित शोषण मुक्ति मंच ने किया प्रदर्शन

संवाद सहयोगी चंबा जिला मुख्यालय चंबा में वीरवार को दलित शोषण मुक्ति मंच की जिला इकाई ने उ

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 04:29 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 04:29 PM (IST)
दलित शोषण मुक्ति मंच ने किया प्रदर्शन
दलित शोषण मुक्ति मंच ने किया प्रदर्शन

संवाद सहयोगी, चंबा : जिला मुख्यालय चंबा में वीरवार को दलित शोषण मुक्ति मंच की जिला इकाई ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना दिया व प्रदर्शन किया। दलित शोषण मुक्ति मंच ने राष्ट्रीय अभियान न्याय मांगो दिवस के तहत दलितों, महिलाओं पर होने वाले अपराधों के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान उपायुक्त डीसी राणा के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भी भेजा गया।

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इस मौके पर जिला संयोजक नरेंद्र कुमार ने बताया कि पूरे देश में महिलाओं व दलितों के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है। सबसे बदतर हालात उत्तर प्रदेश में हैं। भाजपा सरकार के अंतर्गत पुलिस प्रशासन ने दबंग गुंडों का रूप ले लिया है। हाथरस में हुई घटना ने यह बातें साबित कर दी हैं। उत्तर प्रदेश में दलितों पर होने वाले अपराधों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि दलितों को हमेशा ही कानूनी व्यवस्था ने नाकारा है। जब भी कोई दलित थाने के अंदर एफआइआर लिखवाने के लिए जाता है तो उसे डरा-धमकाकर भेज दिया जाता है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस मामले में जिस तरह से अमानवीय कार्य किया है उससे यह साबित हो जाता है कि पुलिस प्रशासन पर सरकार का क्या रवैया है। किस तरह से सरकार ने पुलिस प्रशासन पर नियंत्रण लगाया हुआ है। शव को बिना परिवार की अनुमति से आधी रात को ही जला दिया जाता है।

हाल ही में बीजेपी शासित प्रदेश हरियाणा में निकिता की सरेआम सड़क पर हत्या कर दी गई। निकिता केस में हत्या को संघ परिवार के द्वारा सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई, जो कि सरासर गलत है। इसलिए दलित शोषण मुक्ति मंच मांग करता है कि उत्तर प्रदेश में हाथरस बलरामपुर बाराबंकी में दुष्कर्म व हत्या की उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराई जाए। उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं व दलितों को सुरक्षा देने में असफल रही है। इसलिए उसे तुरंत बर्खास्त किया जाए। गलत व झूठी बयानबाजी करने व आरोपितों को बचाने का प्रयास करने वाले हाथरस के डीएम, एसपी व डीजीपी को तुरंत बर्खास्त किया जाए। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कानून 1989 को सख्ती से लागू किया जाए। फिर से इस तरह की घटनाएं किसी भी राज्य में होती है तो सरकारों को एक उग्र आंदोलन का सामना करना पड़ेगा।


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