Move to Jagran APP

ढलियारा एजुकेशन कॉलेज में वेटरनरी फार्मासिस्ट कोर्स की हरी झंडी

वेटेनरी फार्मासिस्ट कोर्स आरंभ करने के लिए हिमाचल सरकार को अनुमति प्रदान करने के लिए किया था आवेदन सरकार के इंनकार के बाद संस्थान ने सिविल रिट याचिका के माध्यम से प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जागरण संवाददाताचंबा देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाते हुए ठाकुर कॉलेज ऑ़फ एजुकेशन संस्थान ढलियारा को वेटेनरी फार्मासिस्ट कोर्स आरंभ करने को हरी झंडी दे दी है। वर्ष 201

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 06:23 PM (IST)Updated: Sat, 06 Apr 2019 06:37 AM (IST)
ढलियारा एजुकेशन कॉलेज में वेटरनरी फार्मासिस्ट कोर्स की हरी झंडी
ढलियारा एजुकेशन कॉलेज में वेटरनरी फार्मासिस्ट कोर्स की हरी झंडी

जागरण संवाददाता, चंबा : देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाते हुए ठाकुर कॉलेज ऑफ एजुकेशन संस्थान ढलियारा को वेटरनरी फार्मासिस्ट कोर्स आरंभ करने की अनुमति दे दी है। 2018-20 सत्र के लिए कॉलेज ने वेटरनरी फार्मासिस्ट कोर्स आरंभ करने के लिए हिमाचल सरकार को अनुमति प्रदान करने के लिए आवेदन किया था। जब सरकार ने अनुमति देने से इन्कार कर दिया तो संस्थान ने सिविल रिट के माध्यम से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सरकार ने उच्च न्यायालय में अपना जवाब दायर कर स्वीकार किया कि जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार कोर्स आरंभ करने के लिए कॉलेज में सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं और इस कॉलेज को वेटरनरी कोर्स करवाने की अनुमति दी जा सकती है। लेकिन प्रदेश मंत्रिमंडल में मामले पर विचार के दौरान मंत्रिमंडल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में इस कोर्स को पूर्व में पूरा कर चुके छात्रों को सरकार नौकरी नहीं दे पाई है, इसलिए किसी नए कॉलेज को इस कोर्स को आरंभ कर बेरोजगारी को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। इस कारण कोर्स आरंभ करने की अनुमति प्रदान नहीं की गई थी। सरकार ने यह भी बताया कि प्रदेश में 328 पद रिक्त हैं और 400 वेटरनरी फार्मासिस्ट प्रशिक्षित विद्यार्थी रोजगार का इंतजार कर रहे हैं। उच्च न्यायालय ने दलीलों को सुनने के बाद 20 नवंबर, 2018 को निर्णय दिया कि कोर्स को आरंभ न करने के लिए बेरोजगारी कोई ठोस आधार नहीं है। इसलिए सरकार दस दिनों के भीतर ठाकुर कॉलेज को इस कोर्स को आरंभ करने की अनुमति प्रदान करे। इसके बाद प्रदेश सरकार ने इस निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका नंबर एसएलपी (सी) 8067/2019 के माध्यम से चुनौती दी।

loksabha election banner

माननीय न्यायधीश एल. नागेश्वर राव व न्यायधीश एमआर शाह की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान हिमाचल सरकार के अधिवक्ता डीपी पांडे से प्रश्न किया कि क्या सरकार प्रदेश में विभिन्न प्रकार के कोर्स पूर्ण करने वाले सभी बेरोजगारों को रोजगार प्रदान कर रही है? यदि बेरोजगारी को आधार मान लिया जाए तो हिमाचल प्रदेश सहित देशभर के कई कॉलेज व विश्वविद्यालयों पर ताला लटक जाएगा। ठाकुर कॉलेज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव बनर्जी और विनोद शर्मा ने पैरवी करते हुए बताया कि कॉलेज में कोर्स को आरंभ करने के लिए कॉलेज प्रबंधन ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी खर्च कर दिया है। सरकार द्वारा तय मापदंडों को कॉलेज पूर्ण करता है। इसलिए केवल बेरोजगारी के आधार पर अनुमति देने से इन्कार नहीं किया जा सकता। उक्त दलीलों को सुनने के बाद सरकार की याचिका को खारिज कर उच्च न्यायालय के आदेशों को बहाल कर दिया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.