मानव जीवन का मुख्य लक्ष्य है निरंकार प्राप्ति : टंडन
निरंकारी मिशन ईकाई डलहौजी के तत्वाधान में रविवार को निरंकारी भवन बनीखेत में साप्ताहिक सत्संग सत्संग का आयोजन किया गया। इस मौके पर महात्मा सुभाष टंडन ने प्रचवनों की अमृतवर्षा की। अनुयायियों का अध्यात्मिक मार्गदर्शन करते हुए कहा कि निरंकार प्रभु का यह जो बेअंत सब रूप है और यह कतरे-कतरे में है। उन्होंने कहा कि निरंकार प्रभु को जाना जा सकता है इसे पाया जा सकता है। हम अगर मानव शरीर में आए हैं तो इसका सीधा मकसद ही निरंकार की प्राप्ति है। उन्होंने कहा कि यह पहली आवश्यकता है कि हम अपनी जिदगी में इस निरंकार का असली स्वरूप पहचानें। हम अपने मूल अस्तित्व को समझेंयह जानें कि हम
संवाद सहयोगी, डलहौजी : निरंकारी मिशन इकाई डलहौजी के तत्वावधान में रविवार को निरंकारी भवन बनीखेत में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस मौके पर महात्मा सुभाष टंडन ने प्रवचनों की अमृतवर्षा की। अनुयायियों का अध्यात्मिक मार्गदर्शन करते हुए कहा कि निरंकार प्रभु का यह जो बेअंत सब रूप है और यह कतरे-कतरे में है। उन्होंने कहा कि निरंकार प्रभु को जाना जा सकता है, इसे पाया जा सकता है। हम अगर मानव शरीर में आए हैं तो इसका सीधा मकसद ही निरंकार की प्राप्ति है। उन्होंने कहा कि यह पहली आवश्यकता है कि हम अपनी जिदगी में इस निरंकार का असली स्वरूप पहचाने। हम अपने मूल अस्तित्व को समझें, यह जानें कि हम कहां से आए है, किस मकसद के लिए आए हैं और जब यह नश्वर शरीर खत्म हो जाएगा तब आगे क्या होगा। जब तक हम इस एक को जानेंगे नहीं तब तक इस एक को मान भी नहीं सकते। महात्मा टंडन ने कहा कि ब्रह्म को जानना इसकी प्राप्ति करना सबसे ज्यादा जरूरी है तभी हम एक हो पाएंगे। ब्रह्म ज्ञान के बाद ही हमें पता चलता है की यह प्राप्ति हमारे जीवन में कितना फर्क ले आती है। यह हमसे हमारी पहचान कराती है जिससे हम में और सामने वाले में फर्क नहीं रहता, जिससे नफरत नहीं रहती, भेदभाव नहीं रहता सिर्फ प्यार ही रहता है। इसके उपरांत महात्मा सुर्दशन, दिनेश, कुसुम, सपना, नदंनी जसवाल, आर्यन, देवी लाल व पवन कुमार ने भजनों से भी कण-कण में व्याप्त निरंकार सत्ता का गुणगान किया।