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बारिश न होने से मक्की की फसल पर संकट के बादल

प्रदेश में मानसून ने रफ्तार पकड़ ली है कुछ जिलों में अलर्ट भी जारी हुआ है लेकिन इंद्रदेव चंबा जिले से रूठे हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 08:14 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 06:12 AM (IST)
बारिश न होने से मक्की की फसल पर संकट के बादल
बारिश न होने से मक्की की फसल पर संकट के बादल

सुरेश ठाकुर, चंबा

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प्रदेश में मानसून ने रफ्तार पकड़ ली है, कुछ जिलों में अलर्ट भी जारी हुआ है लेकिन इंद्रदेव चंबा जिले से रूठे हुए हैं। इस महीने में अब तक बहुत कम बारिश हुई है जिस कारण मक्की की फसल पर संकट के बादल मंडराने शुरू हो गए है। मौसम की इस बेरुखी से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।

कृषि विभाग के विशेषज्ञों की मानें तो बारिश में देरी के कारण अब तक जिलाभर में दस फीसद फसल को नुकसान हो चुका है। अगर अगस्त के पहले सप्ताह में भी बारिश नहीं होती है तो मक्की के उत्पादन में 20 से 25 फीसद तक गिरावट आ सकती है। बारिश न होने से मक्की की ग्रोथ रुक गई है। जिला के भरमौर, तीसा, पांगी, सलूणी, जुम्महार, खजियार, साहो व भटियात में 26000 हेक्टेयर भूमि पर मक्की की फसल है। कृषि विभाग ने 28550 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है लेकिन अगर समय पर बारिश नहीं हुई तो इस लक्ष्य को झटका लग सकता है।

बारिश के इंतजार में देर से बिजाई करने के कारण मैहला, सलूणी व चंबा क्षेत्र में मक्की की फसल को भारी नुकसान हुआ है। वहीं पहाड़ी क्षेत्र जहां पर मक्की की बिजाई समय पर की गई थी, उसमें भी पौधे का सही आकर नहीं बन पाया है।

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खूबियों के मामले में मक्की का कोई जवाब नहीं

बात चाहे पोषक तत्वों की हो या उपयोगिता की। बेहतर उपज की बात करें या सहफसली खेती और औद्योगिक प्रयोग की। हर मौसम और हर तरह की भूमि में होने वाली मक्की खुद में लाजवाब है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेड, शुगर, वसा, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन एवं मिनरल मिलता है। आटा, धोकला, बेबी और पॉपकार्न के रूप में तो ये खाया ही जाता है। किसी न किसी रूप में यह हर सूप का अनिवार्य हिस्सा है।

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उत्पादन में कमी से कीमतों में रहेगी तेजी

अप्रैल-मई में मक्की बोई जाती है। सितंबर तक मक्की की फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है। इसके बाद स्थानीय बाजर व आसपास के पर्यटक स्थलों से डिमांड आने के बाद किसान मक्की बेचते हैं। लोकल फ्लोर मिल भी मक्की के सूखे दानों की खरीद करते हैं। किसानों की माने तो इस बार बारिश ना होने से पहले ही मक्की की पैदावार पर असर पड़ रहा है। जिससे इस बार उत्पादन कम होने से बाजार में मक्की के दामों में तेजी आ सकती है।

---- मक्की की फसल के लिए इस समय बारिश की बहुत जरूरत है। अगर 10-12 दिन तक बारिश नहीं होती तो चंबा के किसानों को दस फीसद मक्की की फसल का नुकसान हो सकता है।

-सुरेश शर्मा, उपनिदेशक कृषि विभाग चंबा।


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