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तीन माह में भालू ने किए 13 हमले, एक महिला की मौत

जिला चंबा में जंगली जानवरों के आतंक ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 07:59 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 05:07 AM (IST)
तीन माह में भालू ने किए 13
हमले, एक महिला की मौत
तीन माह में भालू ने किए 13 हमले, एक महिला की मौत

संवाद सहयोगी, चंबा : जिला चंबा में जंगली जानवरों के आतंक ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भालुओं का आतंक है। वहीं, मध्यम ऊंचाई सहित निचले क्षेत्रों में लोग तेंदुए के खौफ के साये में जीने के लिए मजबूर हो गए हैं। बीते तीन महीने के दौरान भालू 13 बार लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर चुके हैं। इस अवधि में भालू के हमले से एक महिला की मौत हुई है।

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भरमौर क्षेत्र की कुनेड़ पंचायत में गत 27 जून को खेतों में घास काट रही महिला पर भालू ने हमला कर लहूलुहान कर दिया था। महिला ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। इसके पूर्व भरमौर की चौभिया धार में भालुओं ने गडरिये के रेवड़ पर हमला कर करीब 17 भेड़-बकरियों को शिकार बनाया था। उपमंडल डलहौजी की ग्राम पंचायत बलेरा में भालू ने अचानक एक महिला पर हमला कर दिया था। भरमौर उपमंडल स्थित चौबिया जंगल में भेड़-बकरियां चराने गए भेड़पालक को भी भालू ने हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। भालू ने खणी में खेत में कार्य करते दो लोगों समेत डलहौजी में भी दो लोगों को घायल किया था। चुवाड़ी के जोत में भालू के हमले से एक व्यक्ति लहुलुहान हो गया था। अगस्त में भी भालू के हमले से तीन लोग घायल हुए थे। जिले में तेंदुए ने भी अलग-अलग स्थानों पर पालतू जानवरों व लोगों पर हमला कर उन्हें शिकार बनाया है। बीते जून में तेलका क्षेत्र में तेंदुए ने एक मवेशी पर हमला किया जबकि ब्याणा पंचायत के कैला गांव में बकरी को शिकार बनाया था।

----- भरमौर, डलहौजी में भालू, अन्य जगह तेंदुए का आतंक

चंबा जिला के उपमंडल भरमौर व डलहौजी में भालुओं का हर वर्ष सबसे अधिक आतंक देखने को मिलता है। भालू किसानों द्वारा उगाई गई फसलों को उजाड़ देते हैं। वहीं, लोगों पर हमला करने से भी पीछे नहीं हटते हैं। जिले के अन्य क्षेत्रों जैसे सलूणी, तेलका, सुरंगानी, लचोड़ी आदि में तेंदुए का आतंक है। इन क्षेत्रों में तेंदुए सुबह व शाम शिकार की तलाश में निकलते हैं। मवेशी व पालतू कुत्ते आसान शिकार

जंगली जानवरों का सबसे आसान शिकार मवेशी व पालतू कुत्ते होते हैं। भेड़-बकरियां भी इनके लिए आसान शिकार होती हैं। ऐसे में सुबह व शाम जंगली जानवर गांवों व खेतों में दस्तक देते हैं। तेंदुए ने जिले में पशुओं को ही अधिकतर शिकार बनाया है। भालू लोगों पर भी हमला कर रहे हैं।

खाने की तलाश में घरों तक पहुंच रहे जंगली जानवर

जंगली जानवर खाने की तलाश में खेतों व लोगों के घरों तक पहुंच रहे हैं। चंबा जिले के भरमौर, होली, तीसा तथा पांगी के ऊपरी क्षेत्रों से भालू मक्की तथा सेब की तलाश में निचले क्षेत्रों में पहुंच जाते हैं। जून से लेकर सितंबर तक खेतों में मक्की तथा सेब के बगीचे में फल होते हैं। ऐसे में भालू हर वर्ष खाने की तलाश में निचले क्षेत्रों में पहुंचते हैं। इन दिनों चारों तरफ हरियाली होने के कारण भी भालू रिहायशी क्षेत्रों तक पहुंच जाते हैं जिसका किसी को पता नहीं चल पाता है। फसलों की कटाई के बाद भालू का रिहायशी क्षेत्रों में आना भी बंद हो जाता है। भरमौर क्षेत्र में पिछले वर्ष भालुओं ने सेब के बगीचे में पेड़ों को भी काफी नुकसान पहुंचाया था। कई पेड़ों को भालुओं ने जड़ से उखाड़ दिया था।

------------- आत्मरक्षा में हमला करते हैं जंगली जानवर

जंगली जानवरों से बचाव के लिए वन विभाग द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जंगली जानवर आत्मरक्षा में ही हमला करते हैं। लोग कोशिश करें कि जंगलों में अकेले न जाएं। समूह में रहें या हमेशा एक-दूसरे से करीब रहें। यदि किसी स्थान पर जंगली जानवरों का अधिक आतंक है तो तुरंत वन विभाग को सूचित करें। विभाग द्वारा वनों में फलदार पौधे भी रोपे जा रहे हैं ताकि जंगली जानवर गांवो की तरफ रुख न करें।

निशांत मंढोत्रा, डीएफओ, चंबा।


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