गोबर से निकाली कमाई की राह, बीस तरह की वस्तुएं हो रही है तैयार
बिलासपुर में रहने वाले कविता गुप्ता गाय के गोबर से 20 तरह के उत्पाद तैयार करती हैं इसके जरिये वह पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रही हैं।
बिलासपुर, आशुतोष डोगरा। काम करते समय अगर किसी व्यक्ति से कोई गलती हो जाए तो कहते हैं कि आपने गुड़ गोबर कर दिया लेकिन गोबर को गुड़ यानी उपयोगी वस्तु बनाने का हुनर सिर्फ कविता ही जानती हैं। जिस गोबर को लोग बेकार समझते हैं कविता उसी गोबर से ऐसे उत्पाद तैयार कर रही हैं जिसके बिना आपकी दिनचर्या पूरी नहीं होती है। कविता पूजा सामग्री में प्रयोग होने वाले उत्पाद तैयार करती हैं।
बिलासपुर सदर हलके के कोठीपुरा गांव की कविता गुप्ता गोबर के इस उद्योग में धूप, अगरबत्ती, हवन सामग्री समेत अन्य उत्पाद तैयार करती हैं। देसी गाय के गोबर से तैयार होने वाले इन उत्पादों के जरिये कविता पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे रही हैं।
कविता गुप्ता ने उसने बिलासपुर में गोबर से उत्पाद तैयार करने के लिए 2018 में छोटा सा उद्योग स्थापित किया था। कविता ने खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ ही अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाया है। उसके उद्योग के जरिये करीब 25 लोगों के घर का चूल्हा जल रहा है। शुरुआती दिनों में कविता को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। बेहतरीन कार्य करने के लिए उसे राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। अब वह अपने उद्योग को विस्तार देना चाहती है ताकि अधिक लोगों को रोजगार मिल सके।
बीस तरह के उत्पाद करती हैं तैयार
बिलासपुर के कोठीपुरा गांव की कविता गुप्ता आदर्श कामधेनु इंटरप्राइजेज नाम से धूप, अगरबत्ती, हवन सामग्री सहित 20 से अधिक उत्पाद तैयार कर रही हैं। उत्तरी भारत में उसका ही उद्योग ऐसा है जिसमें तैयार होने वाले प्रत्येक उत्पाद में देसी गाय के गोबर को किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इस उद्योग में देसी गाय के गोबर को सुखाकर मशीन में पीसा जाता है। इसमें तेल, गुगल, लोबान, मोगरा व चंदन पाउडर आदि को अलग-अलग अनुपात में मिश्रित करके मशीनों से कई तरह के उत्पाद तैयार किए जाते हैं। कविता हवन कुंड में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की जगह देसी गाय के गोबर से समधा तैयार करती हैं। उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ नयना देवी, ज्वालामुखी व बगलामुखी आदि मंदिरों में यहां से समधा भेजी जाती हैं। पंजाब, हरियाण व दिल्ली में भी कविता गुप्ता की ओर से तैयार किए उत्पादों की मांग की जा रही है।
गुजरात में लिया था प्रशिक्षण
कविता गुप्ता ने काम शुरू करने से पहले गुजरात के एक उद्योग में प्रशिक्षण लिया था। इसके बाद उसने बिलासपुर में अपना उद्योग स्थापित किया। शुरू में उसने चार लोगों को काम पर रखा। जैसे-जैसे कारोबार बढ़ता गया वैसे-वैसे काम करने के लिए लोगों की संख्या भी बढ़ाई गई। कविता गुप्ता ने उद्योग स्थापित करने के लिए सरकार से कुछ आर्थिक मदद ली थी।