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कोटधार में बढ़ गया जल संकट

संवाद सहयोगी बिलासपुर गर्मी का मौसम बढ़ने से पहले ही जिला बिलासपुर में सूखे का असर दिखना

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 05:27 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 05:27 PM (IST)
कोटधार में बढ़ गया जल संकट
कोटधार में बढ़ गया जल संकट

संवाद सहयोगी, बिलासपुर : गर्मी का मौसम बढ़ने से पहले ही जिला बिलासपुर में सूखे का असर दिखना शुरू हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में जलसंकट बढ़ने लगा है। ऐसी ही समस्याओं का सामना हर साल कोटधार के लोगों को भी करना पड़ता है। क्षेत्र की कुछ पंचायतें ऐसी हैं जहां पर गर्मी शुरू होने से पहले ही पानी की किल्लत शुरू हो गई थी और यह प्रतिदिन बढ़ रही है। इनमें ग्राम पंचायत जेजवीं, मरोतन, मल्होट व कलोल में हालात यह हैं कि लोगों को सप्ताह बाद पानी की आपूर्ति की जा रही है और वह भी मात्र 15 या 20 मिनट तक।

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ग्रामीणों को पानी दूर स्थित हैंडपंपों व बावड़ियों से लाना पड़ रहा है। हैंडपंपों पर भी काफी भीड़ लग जा रही है जिस कारण लोगों का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। वर्तमान में बावड़ियों का जलस्तर भी काफी कम हो गया है जिसके कारण बावड़ी से भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है।

स्थानीय ग्रामीणों में अर्जुन, लीला शर्मा, सुनील दत्त, केशव, विवेक, कांता, कमलेश व राजकुमार आदि का कहना है कि पानी के लिए देर रात को जागना पड़ रहा है। लोगों का कहना शिकायत करने पर भी विभागीय अधिकारी समस्या का समाधान नहीं कर रहे हैं। क्षेत्र के लोगों में सरकार व विभाग के खिलाफ गहरा रोष है।

वहीं विभाग के एक्सईएन देवराज चौहान ने बताया कि समस्या का हल करवाने की कोशिशें हैं।

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पानी के लिए घर का काम छोड़ कर हैंडपंप पर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। घर में सप्लाई का पानी पीने के लिए भी पूरा नहीं हो रहा है। पानी की समस्या हर साल रहती है। एक हैंडपंप से गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। काफी लंबे इंतजार के बाद नंबर आता है।

-लीला शर्मा, स्थानीय निवासी।

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पानी की समस्या गंभीर हो रही है। तीसरे या चौथे दिन के बाद पानी आ रहा है वो भी नाममात्र का ही। मात्र एक ही हैंडपंप है लेकिन वह भी चलते-चलते रुक जाता है, जिसमें एक घड़ा भरने के लिए 20 से 30 मिनट लग जाते हैं। पशुओं के लिए भी पानी उपलब्ध करवाना बहुत मुश्किल हो रहा है।

-केशव शर्मा, स्थानीय निवासी।

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पानी की कमी के कारण लोगों में हाहाकार की स्थिति है। लोगों के खेतों में पाइपें बिछा दी गई है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से अपने भाषणों में कुट बौंगड़ योजना का जिक्र किया जाता है लेकिन वह सिर्फ नाम की ही है। कुट बौंगड में न ही कोई टैंक बना है और न ही कोई मशीनरी लगी है। पाइपें केवल जनता को गुमराह करने के लिए बिछाई गई हैं और जनता को ठगा जा रहा है।

-श्याम सिंह, पूर्व सैनिक समाज सुधार समिति के अध्यक्ष।

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