हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने सरकार का निर्णय सराहा
संवाद सहयोगी बिलासपुर हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ जिला बिलासपुर इकाई हिमाचल प्रदेश सरक
संवाद सहयोगी, बिलासपुर : हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ जिला बिलासपुर इकाई हिमाचल प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल के 23 नवंबर के उस निर्णय का स्वागत किया है जिसमें शिक्षा विभाग में कार्यरत वर्ष 2002 के कमीशन पास टीजीटी 40 शिक्षकों को उनके पदोन्नति के लिए संबंधित स्नातकोत्तर विषय में न्यूनतम अंकों की शर्त में एकमुश्त छूट दी है।
इकाई ने कहा कि सरकार ने इन शिक्षकों को उनका जायज हक दिया है। वर्ष 2002 में हिमाचल प्रदेश अधिनिस्थ सर्विस चयन बोर्ड हमीरपुर द्वारा टीजीटी आर्ट्स पदों के लिए आयोजित कमीशन उत्तीर्ण कर मेरिट सूची आने के बावजूद इन शिक्षकों को प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने पर उस समय शिक्षा विभाग में नियुक्ति नहीं दी गई थी और तत्कालीन सरकार ने इनके कमीशन को ही रद कर दिया था।
इन शिक्षकों ने कमीशन उत्तीर्ण कर मैरिट में आने के बावजूद लगभग 10 वर्ष बेरोजगारी का दंश झेलने के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय तक अपने हक की लंबी लड़ाई लड़ी और न्याय प्राप्त किया। उसके उपरांत लगभग 10 वर्ष बाद 2012 को शिक्षा विभाग में इनकी अनुबंध आधार पर नियुक्ति हुई। बाद में सर्वोच्च न्यायलय द्वारा जारी जजमेंट के आधार पर इन्हें वर्ष 2002 के समय के टीजीटी शिक्षकों के भर्ती एवं प्रोन्नति नियमों के अनुसार इनके पिछले सेवाकाल के नियमित लाभ सरकार ने इनकी अनुबंध आधार पर नियुक्ति के समय से जारी कर दिए। इस तरह अब सरकार ने इन 40 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2002 को आधार बनाकर उनका जायज हक दिया है।
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ बिलासपुर जिला इकाई के अध्यक्ष यशवीर रणौत, महासचिव सुनील ठाकुर, मनोज कुमार, सुरजीत चांदला, नरेंद्र शर्मा, सुभाष कुमार, बाबू राम धीमान, सतीश शर्मा, कृष्ण ठाकुर, रविंद्र कुमार, राजेश राव, पवन शर्मा, सुभाष कुमार, सुनील शर्मा, प्रदीप कुमार, विशाल रणौत, डा. संजीव चंदेल, योगेश मन्हास, राजेश कुमार, गणेश दत्त शर्मा, नरेश धीमान, चिरंजी लाल, अजय नाईक व वीरेंद्र ठाकुर आदि ने बयान जारी कर कहा कि इस फैसले से इन शिक्षकों व इनके स्वजनों ने राहत महसूस की है।