आयोध्या में श्रीराम ने लिया जन्म, छायी खुशियां
घुमारवीं उपमंडल के तहत आने वाली मोर¨सघी में आयोजित की जा रही रामलीला के दूसरे दिन दर्शाए गए ऋषि वशिष्ट व महाराज दशरथ के संवाद के ²श्य में आयोध्या के महाराज दशरथ पुत्र न होने पर काफी ¨चताग्रस्त दिखाई दे रहे थे। ऋषि वशिष्ट ने दरबार में पेश होकर महाराज दशरथ से ¨चता का कारण पूछते हुए कहा महाराज, क्या बात है
संवाद सहयोगी, घुमारवीं : उपमंडल घुमारवीं के तहत मोर¨सघी में आयोजित श्रीरामलीला के दूसरे दिन दर्शाए गए ऋषि वशिष्ट व महाराज दशरथ के संवाद के दृश्य में अयोध्या के महाराज दशरथ पुत्र न होने पर काफी ¨चताग्रस्त दिखाई दे रहे थे। ऋषि वशिष्ट ने दरबार में पेश होकर महाराज दशरथ से ¨चता का कारण पूछते हुए कहा महाराज, क्या बात है आप इतने उदास क्यों नजर आ रहे हैं। महाराज दशरथ ने कहा कि अभी तक उनके कोई पुत्र नहीं है। ऐसे में ¨चता होनी स्वाभाविक है। ऋषि वशिष्ट महाराज को ऋषि श्रंगी से पुत्र यज्ञ करवाने की सलाह देते हैं।
यज्ञ के सफल होने के बाद अग्निदेव प्रकट होकर तीनों को रानियों को फल प्रदान करते हैं तथा पुत्र होने का आशीर्वाद देते हैं। रानी कौशल्या के सपने में भगवान विष्णु दर्शन देते हैं जिसमें कौशल्या भगवान को विष्णु को पुत्र के रूप में जन्म लेने का आग्रह करती हैं। भगवान विष्णु कौशल्या के पुत्र के रूप में जन्म लेते हैं। समय बीतने के बाद राजा दशरथ के घर तीनों रानियों के चार बेटे उत्पन्न होते हैं। ऋषि वशिष्ट दशरथ के चारों बेटों का नामकरण संस्कार करवाते हैं जिनमें कौशल्या के बेटे का नाम राम, कैकेयी के पुत्र का नाम भरत तथा सुमित्रा के पुत्रों का नाम लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न रखते हैं। रामलीला के दूसरे दिन समाजसेवी राहुल चौहान ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। समिति के प्रधान प्रताप चौहान ने मुख्यातिथि को टोपी पहनाकर स्वागत किया। मुख्यातिथि ने बच्चों से नशे से दूर रहने की अपील की।