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मछली पालन के लिए विकसित तालाब में भिनभिना रहे मच्छर

जिला मुख्यालय से दस किमी दूर बंदला गांव में एक लाख रुपए की लागत से मछली पालन के लक्ष्य से विकसित तालाब इन दिनों मछलियां नहीं डेंगू के मच्छर पैदा कर रहा है। इस तालाब में एक वर्ष पहले मत्स्य विभाग स्थानीय पंचायत के साथ मिलकर मछली पालन की योजना बनाई थी, ताकि तालाब का पानी गंदगी रहित हो सके और यहां पर बीमारियां न फैले। के

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 04:05 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 04:05 PM (IST)
मछली पालन के लिए विकसित 
तालाब में भिनभिना रहे मच्छर
मछली पालन के लिए विकसित तालाब में भिनभिना रहे मच्छर

संवाद सहयोगी, बंदला : जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर बंदला गांव में एक लाख रुपये की लागत से मछली पालन के लक्ष्य से विकसित तालाब इन दिनों मछलियां नहीं मच्छर भिनभिना रहे हैं। इस तालाब में एक वर्ष पहले मत्स्य विभाग स्थानीय पंचायत के साथ मिलकर मछली पालन की योजना बनाई थी, ताकि तालाब का पानी गंदगी रहित हो सके और यहां पर बीमारियां न फैले।

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मछली पालन के लिए एक वर्ष पहले साफ किया गया यह तालाब फिर गंदगी से भर गया है। विभाग पंचायत को यहां पर पचास हजार की राशि जारी कर चुका है। मछली पालन से यहां पर रोजगार को बढ़ावा देने के लिए पंचायत ने इसे लीज पर देने की प्रक्रिया भी पूरी कर ली थी लेकिन कागजी कार्रवाई पूरी होने से यहां मछली पालन की कवायद अधर में लटक गई है। पंचायत का दावा है कि विभाग को को इस तालाब के जीर्णोद्धार के कार्य पूरा होने का प्रमाणपत्र जमा करवा दिया गया है, लेकिन विभाग का तर्क है कि अभी तक उन्हें कार्य पूरा होने का प्रमाणपत्र नहीं मिला है। महज कागजी औपचारिकता पूरा न होने पर एक वर्ष से यह कार्य अधर में लटका है। इससे क्षेत्र में न तो रोजगार विकसित हो सका है और न ही तालाब के जीर्णोद्धार का कार्य सार्थक हो सका है। स्थानीय लोगों ने इस तालाब में जल्द से जल्द मछली पालन करने की मांग उठाई है।

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कर्मचंद ने कहा कि एक लाख रुपये खर्च कर विभाग और पंचायत ने एक वर्ष पहले इस तालाब की सफाई करवाई थी। तालाब सफाई के बाद एक बार फिर गंदगी से भर गया है। यहां पर मछली पालन शुरू नहीं हो सका है। तालाब में मच्छर पैदा हो रहे हैं।

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दिनेश कुमार ने कहा कि विभाग को कई बार सूचित किया है। विभाग पंचायत से कार्य पूर्ण होने का प्रमाणपत्र न मिलने का तर्क देता है। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि यह प्रमाणपत्र विभाग को सौंपा जा चुका है।

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कमलेश का कहना है कि यदि पंचायत और विभाग में समन्वय में कमी के चलते यहां पर एक लाख रुपये व्यर्थ हो गया है। विभाग की अनदेखी ये यहां पर लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद अभी तक पूरा नहीं हुई है।

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विक्रम ने कहा कि महज कागजी कार्रवाई लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है। छोटे से कार्य के लिए इतना समय लगान हैरानी का विषय है। पंचायत प्रतिनिधियों को मछली पालन में पेश आ रही दिक्कतों को दूर करना चाहिए।

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संजीव ने कहा कि कई बार विभाग के अधिकारियों से इस बावत बात की है लेकिन विभागीय अधिकारी कार्य करने की बजाए कागजी कार्रवाई के कायदे गिनाने लगते हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम भी यहां पर एक बार स्प्रे कर चुकी है।

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प्रधान जयपाल ने कहा कि पंचायत की ओर से विभाग को कार्य पूरा होने का प्रमाणपत्र सौंप दिया गया है। अभी तक यहां पर मछली पालन शुरू नहीं हो सका है।

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मत्स्य विभाग बिलासपुर के सहायक निदेशक श्याम लाल ने कहा कि पंचायत को पचास हजाये रुपए जारी कर दिया गया है। पंचायत की ओर कार्य पूरा होने का प्रमाणपत्र मिलने पर बकाया राशि भी जारी कर दी गई है। तालाब को पंचायत की ओर से लीज पर दिया गया है। लीज लेने वाला व्यक्ति ही इस तालाब में मछली पालन के लिए मछलियों का बीज डालेगा।


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