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जख्म को बनाया ताकत, जीता कांस्य

पंखों से नहीं हौसलों से ऊंची होती है उड़ान। इस बात को सा

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 07:00 AM (IST)
जख्म को बनाया ताकत, जीता कांस्य
जख्म को बनाया ताकत, जीता कांस्य

कमलेश रतन भारद्वाज, बिलासपुर

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पंखों से नहीं हौसलों से ऊंची होती है उड़ान। इस बात को साबित किया है हरियाणा के भिवानी जिला के रहने वाले आइआइटी मंडी के प्रशिक्षु इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) एवं अंतरराष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी नितेश कुमार ने। शनिवार देर शाम इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित पैरा एशियन गेम्स में बैडमिंटन डब्ल्स में देश की झोली में कांस्य पदक डाला।

2009 में जब वह दसवीं में पढ़ते थे तो एक कार दुर्घटना में उन्हें एक पैर में चोट आ गई, जिससे वह 80 फीसद दिव्यांग हो गए। हिम्मत न हारते हुए इस युवा ने जख्म को ही ताकत बना लिया। कभी इंटरनेट के जरिए फंड जुटाया तो कभी दोस्तों की मदद से संघर्ष जारी रखा। उनके पिता विजेंद्र ¨सह पूर्व सैनिक और माता प्रेमकौर गृहिणी हैं। मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में नितेश इससे पहले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए कई मेडल जीत चुके हैं। नितेश पैरा बैड¨मटन के विश्व के 11वें और देश के तीसरे नंबर के वरीयता प्राप्त खिलाड़ी हैं।

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ये रहे नतीजे

पैरा एशियन गेम्स में डब्ल्स स्पर्धा में बेंगलुरु के आनंद कुमार नितेश के साथी रहे। उन्होंने पहला मुकाबला हांगकांग के खिलाफ खेला। इसमें 21-11, 21-11 से जीत हासिल की। इसके बाद अगला मुकाबला मलेशिया के खिलाफ खेला, जिसमें भी 21-15, 24-22 से जीत हासिल कर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। क्वार्टर फाइनल में चीन को 21-15, 21-16 को हराकर सेमीफाइनल में जगह पक्की की, लेकिन सेमीफाइनल में साउथ कोरिया से 16-21, 11-21 के अंतर से हार कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

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एशियन पैरा गेम्स के लिए छोड़ दी पढ़ाई

नितेश कुमार ने एशियन पैरा गेम्स की तैयारी के लिए इंजीनिय¨रग की पढ़ाई भी छोड़ दी थी। उन्होंने आइआइटी मंडी से चौथे वर्ष की पढ़ाई के दौरान इस साल ब्रेक लिया है। बैड¨मटन की को¨चग के लिए दिन-रात एक कर दिया।

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सर्राफा कारोबारी और इंटरनेट का मिला सहारा

आर्थिक तंगी के दौर में नितेश को इंटरनेट के जरिए फंड इकट्ठा करने में मदद मिली है। मंडी के सर्राफा कारोबारी राजा ¨सह मल्होत्रा ने भी कई इवेंट में हिस्सा लेने के लिए आर्थिक मदद दी। जिला प्रशासन मंडी ने भी खिलाड़ी की प्रतिभा को पहचानते हुए लगभग दस हजार रुपये की सहायता राशि देने की हामी भरी थी, लेकिन कई बार चक्कर काटने पर भी यह राशि आज तक नहीं नसीब नहीं हुई।

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पैरा ओलंपिक अगला लक्ष्य : नितेश

जकार्ता से दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में नितेश कुमार ने कहा कि अब अगला लक्ष्य पैरा ओलंपिक गेम्स है। उन्होंने आइआइटी मंडी और मंडी के सर्राफा कारोबारी राजा ¨सह मल्होत्रा का आभार जताया है। सफलता का श्रेय कोच और परिजनों को दिया है।


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