कोरोनाकाल में नए नियमों से घाटे के बोझ में दबा एचआरटीसी डिपो
जागरण संवाददाता बिलासपुर कोरोनाकाल में लगातार बढ़ रहे घाटे के बोझ के कारण अब क
जागरण संवाददाता, बिलासपुर : कोरोनाकाल में लगातार बढ़ रहे घाटे के बोझ के कारण अब कुछ दिन से जारी 50 फीसद सवारियां ढोने के नियमों के बाद एचआरटीसी का बिलासपुर डिपो आर्थिक मंदी से कराहने लगा है। दिल्ली व दूसरे क्षेत्रों के लिए इससे पहले बस सेवाएं जारी रहने के कारण कम होने वाला घाटा अब अचानक बढ़ गया है। इस कारण एक बार फिर बिलासपुर जिले में निगम के कर्मियों को पहले की तरह ही वेतन का संकट खड़ा हो सकता है।
इस बारे में निगम के स्थानीय डिपो की ओर से हर दिन की रिपोर्ट से राज्य सरकार को अवगत भी करवाया जा रहा है। क्षेत्रीय प्रबंधक किशोरी लाल वैद ने बताया कि अब सवारियां कम हो गई हैं। क्योंकि कोविड नियमों का पालन किया जा रहा है। ऐसे में तय है कि घाटा बढ़ रहा है। राज्य सरकार के ध्यान में सब कुछ है। अब यही उम्मीद कर रहे हैं कि किसी तरह से कोरोना का संक्रमण कम हो।
बिलासपुर जिले में निगम के दो डिपो हैं। इसमें घुमारवीं सब डिपो है। दोनों ही जगहों से अलग-अलग एचआरटीसी की बस सेवा लोगों को उपलब्ध करवाई जाती है।
सूत्रों ने बताया कि बिलासपुर जिला मुख्यालय के डिपो में वर्तमान में कुल 40 रूट चलाए जा रहे हैं। इन रूटों में से 30 रूट अब बुरी तरह घाटे के दुष्चक्र में फंस गए हैं। सूत्रों ने बताया कि इन रूटों पर चलाई जा रही बसें कई बार दिनभर में डीजल का खर्चा भी मुश्किल से पूरा कर रही हैं। कई बसें तो दिनभर दस से बीस सवारियां भी मुशिकल से बिठा पा रही हैं।
ऐसा ही हाल घुमारवीं बस डिपो का है। वहां पर 20 रूट चलाए जा रहे हैं लेकिन इन 20 में से 15 रूट घाटे के बोझ में दब गए हैं। आरएम ने बताया कि इस दौर में 24 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से न्यूनतम खर्चा तय किया गया है। जोकि ज्यादातर बसें पूरा नहीं कर पा रही हैं। चंडीगढ व दिल्ली के लिए भी अब रूट कम कर दिए गए हैं।