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लॉकडाउन में कोलकाता के पर्यटक परिवार का सहारा बना हिमाचल पुलिस का जवान, सड़क से पहुंचाए घर

Positive News हिमाचल पुलिस के हेड कांस्टेबल प्रकाश बंसल ने कोलकाता के पर्यटक परिवार को लॉकडाउन में न सिर्फ सहारा दिया बल्कि उनके खानपान का जिम्मा भी उठाया।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 01:25 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 01:25 PM (IST)
लॉकडाउन में कोलकाता के पर्यटक परिवार का सहारा बना हिमाचल पुलिस का जवान, सड़क से पहुंचाए घर
लॉकडाउन में कोलकाता के पर्यटक परिवार का सहारा बना हिमाचल पुलिस का जवान, सड़क से पहुंचाए घर

बिलासपुर, राजेश्वर ठाकुर। कोरोना महामारी के इस दौर में इंसानियत के प्रति जिम्मेदारी और करुणावान होने की जरूरत है। ऐसी करुणा कोरोना योद्धा हिमाचल पुलिस के जवान प्रकाश बंसल ने दिखाई। लॉकडाउन लगने के बाद सड़क पर ठोकरें खा रहे कोलकाता के पर्यटक परिवार को पुलिस हेड कांस्टेबल ने न सिर्फ घर में सहारा दिया, बल्कि उनके खानपान का जिम्मा भी उठाया। पुलिस हेड कांस्टेबल व उनका परिवार दुनिया के लिए बेहतरीन उदाहरण बनकर उभरे हैं।

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मार्च महीने के आखिरी सप्ताह में देश में हुए लॉकडाउन में कोलकाता का एक परिवार मंडी व बिलासपुर जिले की सीमा पर सड़क किनारे इन्हें पैदल चलते हुए मिला। बिलासपुर और मंडी की सीमा पर डैहर में नाके पर तैनात हेड कांस्टेबल ने इस परिवार से बात की व इन्हें घर चलने के लिए कहा। लेकिन परिवार ने घर नहीं जाने की बात कहकर सुंदरनगर में ही एक ढाबे तक पहुंचाने के लिए कहा। वहां कुछ दिन तक परिवार रुका। लेकिन जब ढाबे का बिल अप्रैल महीने तक बेतहाशा हो गया तो हेड कांस्टेबल इस परिवार को अपने घर ले गया।

पुलिस कर्मी ने अपने दोमंजिला मकान की निचली मंजिल इन्हें दे दी और राशन भी खरीदकर दे दिया। पिछले एक महीने से यह पर्यटक परिवार अब हेड कांस्टेबल के सुंदरनगर के चतरोखडी स्थित घर में ही रहा है और इस दौरान हेड कांस्टेबल व उनकी पत्नी ने इस परिवार को अपने परिवार की तरह रखा है। एसपी बिलासपुर दिवाकर शर्मा ने हेड कांस्टेबल व उसकी पत्नी की इस मानव सेवा के लिए विभाग की ओर से बकायदा प्रशस्ति पत्र भी जारी किए।

कोलकाता बाजार के जोदावपुर स्थित गरफा मंडल पैरा में रहने वाले पर्यटक सजल मंडल, रूपाली मंडल व उनका बेटा अबीर मंडल व बेटी फेंटेसी मंडल 22 मार्च को मनाली घूमने के लिए पहुंचे थे। इस बीच जनता कर्फयू के दो दिन बाद जैसे ही देशभर में कोरोना महामारी से बचाव को लॉकडाउन हुआ तो ये मंडी जिले के सुंदनगर क्षेत्र में टैक्सी वाले ने छोड़ दिए, जहां से ये पैदल डैहर वाले रास्ते पर चलते हुए बिलासपुर की ओर आ रहे थे। हेड कांस्टेबल प्रकाश चंद बंसल की ड्यूटी डैहर में ही थी, उन्हें सीमा पर यह परिवार मिला और उन्होंने जिम्मेदारी समझते हुए इन्हें सहारा दिया।

फरिश्ते से कम नहीं पुलिस कर्मी का परिवार : मंडल

मंडल परिवार ने बताया कि हेड कांस्टेबल प्रकाश चंद, उनकी पत्नी किरण बंसल व परिवार में तमाम लोग उनके लिए एक फरिश्ते की तरह साबित हुए हैं। जब उनके पास रहने व खाने के लिए पैसे भी खत्म हो गए थे तो इस परिवार ने उन्हें अब पिछले लगभग एक महीने से अपने घर में रखा हुआ है। इतना आनंद उन्हें कभी अपने घर पर नहीं आया जितना कि प्यार व भरोसा उन्होंने बंसल परिवार के घर में महसूस किया।

पसंद की बंगाली डिश तैयार करवाने में नहीं रखी कमी

लॉकडाउन में फंसने के बाद बेहाल हुए काेलकाता के परिवार को अपने घर में पनाह देने वाले बिलासपुर पुलिस में हेड कांस्टेबल प्रकाश चंद बंसल का कहना है कि उन्होंने कभी चार लोगों के इस परिवार को तीन वक्त उनकी पसंद का खाना तैयार करवाने में कभी पैसे की गणना नहीं की। इस परिवार के लोग जो खाना चाहते हैं। उनकी बंगाली डिशें तैयार करवाने में जो खर्च होता है वो सब करते हैं। बंसल का कहना है कि अपने परिवार के लिए कोई चीज लाना भूल जाएं, लेकिन इनके लिए वह कभी नहीं भूलते हैं। शाम को घर जाने से पहले मंडल परिवार को वह फोन करके पूछ लेते हैं कि आज उनकी खाने की क्या इच्छा है।

पुलिस कर्मी की पत्नी बोली, लॉकडाउन के बीच हमारे घर में रौनक

पुलिस कप्तान से अपनी दरियादिली के लिए प्रशस्ति पत्र पाने वाली प्रकाश बंसल की पत्नी किरण बंसल कहती हैं कि उन्हें अपने घर में मेहमान की सेवा करने का पहले से ही शौक है। ये लोग जब से आए हैं तब से इस लॉकडाउन में उनके घर में रौनक लग गई है। इस दौरान मंडल परिवार से उन्होंने बंगाली डिशें बनाना भी सीख लिया। उन्होंने अब कई बंगाली डिश जैसे फिश बिरयानी, मटन बिरयानी आदि सीख लिया है। वह कहती हैं कि हम हिमाचल के लोग खाने के लिए समझौता करके खा लेते हैं। लेकिन बंगाली लोग खाने के बहुत शौकीन हैं। पौष्टिक व स्वाद खाने को तरजीह देते हैं।

सात जन्म नहीं भूल सकते कर्ज : सजल मंडल

सजल मंडल कहते हैं कि कोलकाता में हिमाचल जैसी शांति नहीं है। वहां एक पड़ोसी दूसरे को नहीं पहचानता है। लोग में सहयोग, दया, करुणा की भावना की कमी है। लोग संवेदनशील नहीं हैं। घर में बंसल परिवार के बच्चों को समझाते हुए सजल मंडल कहते हैं कि गांव जैसी जिंदगी कहीं नहीं है। शहर में वे लोग साल में दो बार अगर देश में कहीं घूमने नहीं निकलें तो डिप्रेशन का शिकार हो जाएंगे। पेशे से निजी क्षेत्र में ठेकेदारी करने वाले सजल मंडल का कहना है कि उनका मन तो अब कोलकाता जाने को नहीं करता है लेकिन मजबूरी में जाना पड़ेगा। जिस तरह से बंसल परिवार ने उनके पति मानवता व उदारता का परिचय दिया है उसका कर्ज वह और उनका परिवार सात जन्म तक नहीं भूल सकते हैं।

कोलकाता में तूफान से घर को नुकसान

सजल मंडल कहते हैं कि पिछले दिनों आए हुए तूफान के कारण उनके मकान तक भी पानी आ गया था। पानी आने के कारण भीतर काफी नुक्सान हो गया है। प्रकाश बंसल कहते हैं कि इतने दूर हाेने के कारण सजल मंडल अपने घर की स्थिति के बारे में पता लगने के बाद रूआंसे हो गए। लेकिन उन्हें बंसल फैमिली ने उन्हें ढांढस बंधाया।

पुलिस अधीक्षक ने की तारीफ, दिया प्रशस्ति पत्र

पुलिस अधीक्षक दिवाकर शर्मा का कहना है कि करुणा, संवेदनशीलता, इंसानियत के प्रति दायित्व बोध से भरी पड़ी इस कहानी में सबसे बड़ी भूमिका हेड कांस्टेबल प्रकाश बंसल की पत्नी किरण बंसल की है। बेशक प्रकाश बंसल परिवार को अपने साथ रखने की इच्छा रखता होता, लेकिन जब तक घर में पत्नी की भूमिका व स्वीकार्यता नहीं हो तब तक इंसानियत के प्रति फर्ज के ऐसे किस्से सिरे नहीं चढ़ते हैं। इसी बात को देखते हुए उन्होंने प्रकाश की पत्नी किरण बंसल को बेशक वह विभाग में सेवा नहीं देती हैं लेकिन उनके सहयोग, सहकार और उदारता के लिए उन्होंने प्रशस्ति पत्र व 1100 रुपये की राशि से पुरस्कृत किया है। इतनी राशि प्रकाश को भी प्रशस्ति पत्र के साथ भेंट की गई है। यह परिवार पुलिस महकमे के लिए ही नहीं बल्कि आज के संवेदनशील समाज के सामने मानवता को जिंदा रखने का एक विरला उदाहरण बनकर उभरा है।

अपने परिवार से बढ़कर जिम्मेदारी

प्रकाश बंसल बताते हैं कि इस दौरान दोनों परिवारों के यहां बनने वाली पहाडी व बंगाली डिशें तैयार करके एक दूसरे से शेयर की गईं। ऐसे में दोनों ने एक दूसरे के इलाके में बनने वाले व्यंजनों का खूब आनंद लिया। जब तक लॉकडाउन रहेगा तब तक ये लोग उनके साथ ही रहेंगे। यह चाहे सालों तक चले तो तब तक सजल मंडल परिवार को अपने साथ ही रखेंगे। वह बताते हैं कि यह परिवार उनके लिए पहले ही दिन से एक जिम्मेदारी है।


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