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मछली पालन के लिए विकसित तालाब, पैदा हो रहे मच्छर

जिला मुख्यालय से दस किमी दूर बंदला गांव में एक लाख रुपए की लागत से मछली पालन के लक्ष्य से विकसित तालाब इन दिनों मछलियां नहीं डेंगू के मच्छर पैदा कर रहा है। इस तालाब में एक वर्ष पहले मत्स्य विभाग स्थानीय पंचायत के साथ मिलकर मछली

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 02:55 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 02:55 PM (IST)
मछली पालन के लिए विकसित तालाब, पैदा हो रहे मच्छर
मछली पालन के लिए विकसित तालाब, पैदा हो रहे मच्छर

संवाद सहयोगी, बंदला : जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर बंदला गांव में एक लाख रुपये की लागत से मछली पालन के लक्ष्य से विकसित तालाब इन दिनों मछलियां नहीं डेंगू के मच्छर पैदा कर रहा है। इस तालाब में एक वर्ष पहले मत्स्य विभाग स्थानीय पंचायत के साथ मिलकर मछली पालन की योजना बनाई थी, ताकि तालाब का पानी गंदगी रहित हो सके और यहां पर बीमारियां न फैलें।

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मछली पालन के लिए एक वर्ष पहले साफ किया गया यह तालाब फिर गंदगी से भर गया है। विभाग पंचायत को यहां पर पचास हजार रुपये की राशि जारी कर चुका है। मछली पालन से यहां पर रोजगार को बढ़ावा देने के लिए पंचायत ने इसे लीज पर देने की प्रक्रिया भी पूरी कर ली थी, लेकिन कागजी कार्रवाई पूरी होने से यहां मछली पालन की कवायद अधर में लटक गई है। पंचायत का दावा है कि विभाग को को इस तालाब के जीर्णोद्धार के कार्य पूरा होने का प्रमाण पत्र जमा करवा दिया गया है, लेकिन विभाग का तर्क है कि अभी तक उन्हें कार्य पूरा होने का प्रमाण पत्र नहीं मिला है। महज कागजी औपचारिकता पूरा न होने पर एक वर्ष से यह कार्य अधर में लटका है। जिससे क्षेत्र में न तो रोजगार विकसित हो सका है और न ही तालाब के जीर्णोद्धार का कार्य सार्थक हो सका है। स्थानीय लोगों ने इस तालाब में जल्द मछली पालन करने की मांग उठाई है।

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एक लाख रुपये खर्च कर विभाग और पंचायत ने एक वर्ष पहले इस तालाब की सफाई करवाई थी। तालाब सफाई के बाद एक बार फिर गंदगी से भर गया है। लेकिन, यहां पर मछली पालन शुरू नहीं हो सका है। तालाब में मच्छर पैदा हो रहे हैं जिससे बीमारियां फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।

-कर्मचंद।

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विभाग को कई बार सूचित किया है। लेकिन विभाग पंचायत से कार्य पूर्ण होने का प्रमाण पत्र न मिलने का तर्क देता है। जबकि पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि यह प्रमाण पत्र विभाग को सौंपा जा चुका है। विभाग जल्द से जल्द बीमारियों के खतरे को देखते हुए यहां पर बकाया राशि को जारी कर मछली पालन शुरू करवाए।

-दिनेश कुमार।

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यदि पंचायत और विभाग में समन्वय में कमी के चलते यहां पर एक लाख रुपए व्यर्थ हो गया है। विभाग की अनदेखी के चलते यहां पर लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद अभी तक पूरा नहीं हुई है। उल्टा विभाग की कारगुजारी से यहां पर बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है।

-कमलेश।

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कागजी कार्रवाई लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है। छोटे से कार्य के लिए इतना समय लगान हैरानी का विषय है। पंचायत प्रतिनिधियों को मछली पालन में पेश आ रही दिक्क्तों को दूर करना चाहिए, ताकि यहां पर तालाब का सही इस्तेमाल हो सके और बीमारियों का खतरा भी न रहे।

-विक्रम।

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कई बार विभाग के अधिकारियों से इस बाबत बात की है, लेकिन विभागीय अधिकारी कार्य करने की बजाए कागजी कार्रवाई के कायदे गिनाने लगते हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम भी यहां पर एक बार स्प्रे कर चुकी है। लेकिन, चार माह में एक बार स्प्रे से क्या डेंगू का खतरा टल जाएगा।

-संजीव।

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पंचायत की ओर से विभाग को कार्य पूरा होने का प्रमाण पत्र सौंप दिया गया है। जिस कारण अभी तक यहां पर मछली पालन शुरू नहीं हो सका है।

-जयपाल, प्रधान पंचायत बंदला।

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प्रमाण पत्र मिलते ही जारी करेंगे बकाया राशि : विभाग

पंचायत को 50 हजार रुपये जारी कर दिया गया है। पंचायत की ओर कार्य पूरा होने का प्रमाण पत्र मिलने पर बकाया राशि भी जारी कर दी गई है। तालाब को पंचायत की ओर से लीज पर दिया गया है। लीज लेने वाला व्यक्ति ही इस तालाब में मछली पालन के लिए मछलियों का बीज डालेगा।

-श्याम लाल, सहायक निदेशक मत्स्य विभाग बिलासपुर।


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