खड्ड में बहाया जाता है गौमूत्र
जागरण संवाददाता दधोल (बिलासपुर) ग्राम पंचायत पडयालग की ओर से लीज पर दी गई जमीन पर बनाए ग
जागरण संवाददाता, दधोल (बिलासपुर) : ग्राम पंचायत पडयालग की ओर से लीज पर दी गई जमीन पर बनाए गए गौसदन के ठीक नीचे खड्ड बहती है। गौसदन का निर्माण सामूहिक योगदान से हुआ है। यहां करीब 60 मवेशी हैं। गौसदन सेवा समिति के प्रबंधक वर्ग हर दिन लगभग 1500 से 2000 रुपये का दूध बेच रहा हैं साथ ही मक्खन, पनीर और घी आदि भी स्थानीय स्तर पर बेचा जा रहा है। गौसदन में देखभाल के लिए समिति की ओर से पांच लोगों की तैनाती की गई है, जिन्हें वेतन दिया जाता है, लेकिन इस गौसदन से हर दिन निकलने वाले गौमूत्र को कायदे से ठिकाने लगाने के बजाय इसे पास ही बहती खड्ड में उड़ेल दिया जाता है।
बिलासपुर में 14 गौसदन
बिलासपुर जिले में कुल 14 गौसदन चलाए जा रहे हैं। इनमें बलहसीना, कार्यालग, बलघाड़, लैहड़ी बरोटा, धारततोह, चांदपुर रघुनाथपुरा टाली कुठेड़ा, जुखाला, बरमाणा, रानी कोटला बिलासपुर शहर आदि शामिल हैं। बिलासपुर जिले में कोई भी पंजीकृत डेयरी फार्म नहीं है। नदी किनारे पर बनाए गए गौसदनों में पडयालग, लैहड़ी बरोटा, धारततोह आदि हैं।
जो उचित कार्रवाई होगी वह की जाएगी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आदित्य नेगी ने कहा कि केंद्रीय बोर्ड से अभी तक जो गाइडलाइन्स आईं हैं। उनको पढ़ा जा रहा है। इसके बाद जो उचित कार्रवाई होगी वह करेंगे। इकट्ठा किया जाता है देसी गाय का गौमूत्र
गौमाता सेवा समिति पड्यालग दधोल के प्रधान रामचंद ने कहा कि उनके पास जितनी गायें हैं उनमे से कुछ देशी है एवं कुछ जर्सी हैं। देसी गाय के गौमूत्र को इकट्ठा किया जाता है, जिसे लोग दवा के लिए ले जाते हैं एवं अन्य गायों के गौमूत्र को जो खेत गायों के चारे के लिया गया है उनमे खाद के रूप में डाला जाता है कुछ ग्रीनहाउस मालिक भी इसको खाद के लिए ले जाते हैं।