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जिमीकंद से सालाना कमा रहे आठ से नौ करोड़ रुपये

बिलासपुर की दावीं घाटी में जाइका प्रोजेक्ट की मदद से किसानों की ओर से तैयार किया गया विशेष गुणवत्ता वाला जिमिकंद अब हमीरपुर उना व कांगडा जिले के कुछ इलाकों में भी उगेगा। अब तक अपने यहां ही सालाना करोडों रूपए की जिमिकंद की फसल लेने वाले इस घाट के कृषक समूह से इस बार जाइका प्रोजेक्ट ने तीनों जिलों के किसानों को देने के लिए बीज खरीदा है। इन जिलों में भी जिमिकंद की फसल के लिए उपयुक्त वातावरण होने के कारण किसानों को इस नगदी फसल से अपनी आर्थिकी मजबूत करने में मदद मिलेगी। जाइका के प्रोजेक्ट अधिकारी शशि पाल शर्मा ने यहां बताया कि दावीं घाट के करोट क्षेत्र में कुछ वर्ष पहले जाइका ने अपने यहां के प्रोजेक्ट के माध्यम से किसानों को नगदी फसलों की ओर मोडने के लिए कृषि विकास संगठन की स्थापना की थी। करोट क्षेत्र में किसानों का समूह बनाने के बाद इन्हें आधुनिक खेती से जुडी हुई तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया। किसानों के समूह को उस

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Jun 2019 10:22 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 06:43 AM (IST)
जिमीकंद से सालाना कमा रहे आठ से नौ करोड़ रुपये
जिमीकंद से सालाना कमा रहे आठ से नौ करोड़ रुपये

जागरण संवाददाता, बिलासपुर : बिलासपुर की दावीं घाटी में जाइका प्रोजेक्ट की मदद से किसानों की ओर से तैयार किया गया विशेष गुणवत्ता वाला जिमीकंद अब हमीरपुर ऊना व कांगडा जिले के कुछ इलाकों में भी उगेगा। अब तक अपने यहां ही सालाना करोड़ों रुपये की जिमीकंद की फसल लेने वाले इस घाट के कृषक समूह से इस बार जायका प्रोजेक्ट ने तीनों जिलों के किसानों को देने के लिए बीज खरीदा है। इन जिलों में भी जिमीकंद की फसल के लिए उपयुक्त वातावरण होने के कारण किसानों को इस नगदी फसल से अपनी आर्थिकी मजबूत करने में मदद मिलेगी।

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जायका के प्रोजेक्ट अधिकारी शशि पाल शर्मा ने यहां बताया कि दावीं घाट के करोट क्षेत्र में कुछ वर्ष पहले जायका ने अपने यहां के प्रोजेक्ट के माध्यम से किसानों को नगदी फसलों की ओर मोड़ने के लिए कृषि विकास संगठन की स्थापना की थी। करोट क्षेत्र में किसानों का समूह बनाने के बाद इन्हें आधुनिक खेती से जुडी हुई तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया। किसानों के समूह को उस इलाके में जिमिकंद की खेती के लिए प्रेरित किया गया।

समूह के अध्यक्ष चेतराम कहते हैं कि पहले वह सामान्य फसलें ही उगाते थे तो एक फसल चक्र में इतने पैसे नहीं कमा पाते थे कि साल भर का गुजारा चल सके। लेकिन जायक प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद किसानों ने अपने-अपने खेतों में जिमीकंद की फसल उगाई। इस दौरान सालाना लगभग आठ से नौ करोड़ रुपये की फसल जिमीकंद की हो रही है। इसे वह अपने मार्केटिंग नेटवर्क के जरिए हिमाचल से बाहर के क्षेत्रों में भी अपेक्षित मूल्यों पर बेचते हैं। किसानों ने जिमीकंद का बीज भी पैदा किया था। ऊना, हमीरपुर व कांगडा जिले के कुछ हिस्सों में जिमीकंद की खेती किसानों से करवाने के लिए बीज मांगा था। लगभग नौ लाख रुपये का बीज इस कृषक समूह ने अभी हाल ही में जायका को दिया है।

प्रोजेकट ऑफिसर शशि पाल शर्मा ने बताया कि इस बार जायका के तहत उन्होंने बिलासपुर जिले के अलावा हमीरपुर ऊना व कांगडा जिले के देहरा व इसके आसपास के दूसरे इलाकों में जिमीकंद की फसल उगाने के लिए कई कृषक समूहों को तैयार किया है। इनके लिए अभी हालही में उन्होंने जिमिकंद का बीज मुहैया करवाया है।


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