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बिलासपुर में खेल-खेल में पढ़ाई पर जोर

जिला बिलासपुर में इस समय एक्टीविटी बेस्ड लर्निग पर जोर दिया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि इसक

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Feb 2018 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 05 Feb 2018 03:01 AM (IST)
बिलासपुर में खेल-खेल में पढ़ाई पर जोर
बिलासपुर में खेल-खेल में पढ़ाई पर जोर

जिला बिलासपुर में इस समय एक्टीविटी बेस्ड लर्निग पर जोर दिया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि इसका रिस्पांस भी बेहतर मिल रहा है। इसमें प्रयास प्लस व शाला सिद्धि दो कार्यक्रम चलाए गए हैं। यह बात उच्चतर शिक्षा उपनिदेशक अमर सिंह ठाकुर ने दैनिक जागरण के साथ साझा की। शिक्षा विभाग में क्या गतिविधियां चल रही हैं और किस तरह से शिक्षा को नए आयाम से जोड़ा जा रहा है, इसके संबंध में पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश।

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-'खेल-खेल में पढ़ाई' इस विषय पर बिलासपुर जिला में क्या किया जा रहा है?

कक्षा छठी से लेकर आठवीं तक मैथ और साइंस के विषयों को लेकर एक्टिविटी के माध्यम से पढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।

-जिले में शाला सिद्धि नामक कार्यक्रम चलाया गया है, इस बारे में क्या कहेंगे?

जैसा कि नाम से ही जाहिर है शाला सिद्धि, मतलब अपनी पाठशाला को सिद्ध करना कि इसमें किस प्रकार की कमी है और उसे कैसे दूर किया जा सकता है। इसमें क्वालिटी और क्वांटिटी पर जोर दिया जाता है। सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यो को यह निर्देश दिए गए हैं कि 15 दिन के भीतर स्कूल की सभी समस्याएं और उपलब्धियां लिखित रूप में जिला मुख्यालय पर भेजें।

-कितने स्कूलों में यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है?

यह कार्यक्रम सभी स्कूलों के लिए बनाया गया है, लेकिन इस समय 108 सीनियर सेकेंडरी स्कूल तथा 52 हाई स्कूलों में यह कार्यान्वित है।

-प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोई कार्यक्रम चलाया जा रहा है?

जी हां, शिक्षा विभाग ने एकलव्य मॉड्यूल तैयार किया है। यह एक तरह का ऑनलाइन पेपर है। हमें निदेशालय से यह आदेश हैं कि इस मॉड्यूल में जिले के कम से कम 100 बच्चों को शामिल किया जाए। बिलासपुर जिले से 84 बच्चों ने इस टेस्ट में भाग लिया है और उनके अंक 50 प्रतिशत तक रहे हैं।

-क्या यह ऑनलाइन टेस्ट है?

जी हां, यह ऑनलाइन टेस्ट है, लेकिन अन्य छात्रों के लिए ऑफलाइन टेस्ट की भी सुविधा है, जिसमें स्वयं सिद्धि प्रोजेक्ट के माध्यम से लेवलिंग की गई है और कोई भी विद्यार्थी उसमें लेवल-1 से शुरू करके अंत तक जा सकता है। इसमें बच्चे को पढ़ने के लिए पहले डिटेल में कंटेंट भी मिल सकता है, जिससे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बच्चों में कुछ करने की भावना अवश्य जागृत होगी।

-अध्यापकों की कमी कितनी है और इस पर विभाग क्या कर रहा है?

अध्यापकों की संख्या को बरकरार रखने में बिलासपुर जिला काफी आगे है। इस समय जिले में कुल 1005 पद शिक्षकों के हैं, जिनमें से केवल 47 पद खाली चल रहे हैं।

-निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक होने के क्या कारण हैं?

ऐसा बिल्कुल नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बरमाणा, भराड़ी व घुमारवीं के अलावा कई ऐसे स्कूल हैं, जहां पर निजी स्कूलों की अपेक्षा बच्चों की संख्या अधिक है।

-क्या सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को निजी की तर्ज पर यातायात सुविधा नहीं दी जा सकती?

निजी स्कूलों की मजबूरी है कि वे विद्यार्थियों को बसों में स्कूलों में ले जाएं। सरकार ने सभी सरकारी बसों में विद्यार्थियों को आने-जाने की सुविधा दे रखी है। ऐसे में कोई भी निर्णय लेना सरकार के वश में है, इस पर जिला स्तर पर कुछ नहीं किया जा सकता।

-बच्चों पर पढ़ाई का बोझ रहता है और तनाव में भी आ जाते हैं, इस पर विभाग क्या कर रहा है?

इस बारे में सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यो को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वह ऐसी कोई भी घटना का पता चलते ही तुरंत कार्रवाई करें। हर स्कूल में काउंसलिंग सेल बनाए गए हैं, इसमें करियर काउंस¨लग के अलावा बच्चे को तनाव से निकालने की काउंसलिंग भी की जाती है।


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