व्यासप्योर के नाम से जाएंगे बिलासपुर के स्थानीय उत्पाद
जिले के स्वयं सहायता समूहों और स्थानीय पारंपरिक उत्पादों को अब देशभर में पहचान मिलेगी। इसके लिए डीआरडीए बिलासपुर ने खाका तैयार कर लिया है। एफएसएसएआई से डीआरडीए बिलासपुर को ब्रांड नेम के लिए मंजूरी मिल गई है। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को अब व्यासप्योर नाम से जाना जाएगा। फूड सेफ्टी एवं स्टैंडर्ड अॅथारिटी ऑफ इंडिया से मंजूरी के बाद अब डीआरडीए बिलासपुर अन्य औपचारिकताएं पूरी करने में जुटा है। स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के ऊपर ब्रांड नेम के लोगो लगेगा।
कमलेश रतन भारद्वाज, बिलासपुर
जिले के स्वयं सहायता समूहों और स्थानीय पारंपरिक उत्पादों को अब देशभर में पहचान मिलेगी। इसके लिए डीआरडीए बिलासपुर ने खाका तैयार कर लिया है। एफएसएसएआइ से डीआरडीए बिलासपुर को ब्रांड नेम के लिए मंजूरी मिल गई है। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को अब व्यासप्योर नाम से जाना जाएगा। फूड सेफ्टी एवं स्टेंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया से मंजूरी के बाद अब डीआरडीए बिलासपुर अन्य औपचारिकताएं पूरी करने में जुटा है। स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के ऊपर ब्रांड नेम के लोगो लगेगा।
वर्तमान में जिले स्वयं सहायता समूह लाखों रुपये का कारोबार कर रहे है। छोटे-छोटे मेलों से लेकर राज्यस्तरीय और अंतरराष्ट्रीय मेलों में स्वयं सहायता समूह अपने उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं। काफी लंबे अरसे से इन उत्पादों को एक ब्रांड ने की कमी खल रही थी। इसी कमी को पूरा करने के लिए डीआरडीए बिलासपुर जिला प्रशासन के साथ मिलकर कसरत कर रहा था। अब जल्द ही शेष औपचारिकताएं पूरी होते ही प्रदेश और देश में बिलासपुर के उत्पादों को ब्रांड नेम से पहचाना जा सकेगा।
निष्क्रिय स्वयं सहायता समूह भी होंगे सक्रिय
जिले में वर्तमान में 500 के लगभग स्वयं सहायता समूह हैं। यह स्वयं सहायता समूह महिलाओं के रोजगार का जरिया बने हैं। छोटे-छोटे मेलों और डीसी ऑफिस के प्रांगण में लगने वाले स्टॉल में बिक्री से इन्हें रोजगार मिल रहा है। जिला में 150 के लगभग समूह सक्रिय हैं। इन समूहों के उत्पादों को ब्रांड नेम मिलने के बाद एक जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। जागरूकता अभियान में निष्क्रिय हो चुके स्वयं सहायता समूहों को भी सक्रिय किया जाएगा।
ब्रांड नेम से देशभर में मिलेगी पहचान : संजीत
डीआरडीए बिलासपुर के परियोजना अधिकारी संजीत ¨सह ने कहा कि एफएसएसएआइ से ब्रांड नेम को मंजूरी मिल गई है। अब विभाग अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने में जुटा है। जल्द ही स्वयं सहायता समूहों के हर खाद्य उत्पाद पर ब्रांड नेम का लोगो लगेगा। इससे जिला के पारंपरिक और स्थानीय उत्पादों को देशभर में पहचान मिलेगी।
यह है मुख्य उत्पाद
महिलाओं के स्वयं सहायता समूह मुख्यत गेंहू से बनने वाला शीरा, चटनी, सेपू बड़िया, माह की बड़िया, लगभग हर किस्म का अचार तैयार करते हैं। इसके अलावा स्वेटर, मफलर, टैडी बीयर इत्यादि भी कुछ महिला मंडल तैयार कर रही है।