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भराड़ी पीएचसी को सीएचसी बनाया, पर डॉक्टर नहीं आया

घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र की करीब दस पंचायतों की सेहत को कायम रखने का जिम्मा संभालने वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भराड़ी आज खुद को अस्वस्थ महसूस कर रहा है। भले ही इस स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा पंद्रह बिस्तरों से बढ़ाकर पचास बिस्तर का कर दिया हो लेकिन यहां पर सुविधाएं आज भी शून्य के बराबर हैं। हालांकि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में करीब पांच

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 08:00 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 08:00 PM (IST)
भराड़ी पीएचसी को सीएचसी बनाया, पर डॉक्टर नहीं आया
भराड़ी पीएचसी को सीएचसी बनाया, पर डॉक्टर नहीं आया

50 बिस्तरों वाले अस्पताल में दो डॉक्टर तैनात, 24 घंटे देनी पड़ रही ड्यूटी फोटो नंबर 16 से 26

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संवाद सहयोगी, भराड़ी : घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र की करीब दस पंचायतों की सेहत को कायम रखने का जिम्मा संभालने वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भराड़ी आज खुद को अस्वस्थ महसूस कर रहा है। भले ही इस स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा 15 बिस्तरों से बढ़ाकर पचास बिस्तर का कर दिया हो, लेकिन यहां पर सुविधाएं शून्य के बराबर हैं। हालांकि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में करीब पांच चिकित्सकों के पद मंजूर किए गए हैं, लेकिन यहां पर तैनात केवल दो ही डॉक्टर हैं। ऐसे में प्रत्येक डॉक्टर को 24 घंटे तक ड्यूटी देनी पड़ रही है। लोगों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के दावे केवल कागजों में ही दबकर रह गए हैं। धरातल पर हालात यह हैं कि ओपीडी के भवन को एक वर्ष का समय बीत चुका है लेकिन यह भवन आज भी उद्घाटन की राह देख रहा है। हैरानी की बात यह है कि वर्तमान विधायक भी इस अस्पताल में सुविधाएं प्रदान करवाने में कोई अधिक रूचि नहीं ले रहे हैं। यह अस्पताल मरहाणा, घंडालवीं, लैहड़ी सरेल, हटवाड़, बम्म, सलाओं, गतवाड़, चकराणा, बरोटा, पंतेहड़ा, बम्म आदि पंचायतों को लाभ पहुंचाता है। डॉक्टर न होने के कारण लोगों में रोष व्याप्त है कि यदि सरकार इन अस्पतालों में चिकित्सक उपलब्ध नहीं करवा सकती है तो इनके दरवाजों पर ताला लटका देना चाहिए, ताकि लोग किसी धोखे में न रहकर सीधे घुमारवीं, हमीरपुर, बिलासपुर या दूसरे निजी क्लीनिकों की ओर अपना रुख करें। भराड़ी अस्पताल नजदीक पड़ता है। पहले यह पीएचसी होता था, लेकिन बाद में इसका दर्जा बढ़ाकर सीएचसी कर दिया गया। अब तो हालत और भी अधिक खराब है।

-कलावती सरकार ने अस्पताल को 15 से बढ़ाकर 50 बिस्तर का बनाने की घोषणा की है, लेकिन यहां पर केवल दो ही डॉक्टर हैं, जिनमें से एक 24 घंटे ड्यूटी देता है।

प्रवीण ठाकुर ओपीडी भवन को बने एक वर्ष बीत चुका है, लेकिन अभी तक इसका उद्घाटन नहीं हुआ है। मरीजों को इलाज करवाने के लिए तीन घंटे तक का इंतजार करना पड़ता है।

-लता देवी अस्पताल का दर्जा बढ़ने से लोगों में उम्मीद थी कि अब यहां पर अच्छी सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन यहां हालत कुछ ओर हैं। इलाज के लिए लोगों को पूरा दिन इंतजार करना पड़ता है।

शकुंतला देवी 15 पंचायतों के लोग अस्पताल पर निर्भर हैं। नजदीक होने के कारण लोग सबसे पहले इसी अस्पताल में इलाज को पहुंचते हैं, लेकिन यहां लोगों को निराशा ही हाथ लगती है।

-विनता देवी अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर भले ही सीएचसी कर दिया गया हो। यदि लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध नहीं होंगी तो दर्जा बढ़ाने से कोई लाभ नहीं है।

-कमल राज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भराड़ी को मजाक बनाकर रख दिया है। यहां तैनात दो डॉक्टरों में से एक की बदली की जा रही है। ऐसा होता है तो यह अस्पताल स्वयं ही ऑक्सीजन पर आ जाएगा।

-लीला शर्मा मरीज अपना इलाज करवाने के लिए अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन यदि अस्पताल स्वयं ही बीमार हो तो मरीज कहां जाए। प्रतिदिन अस्पताल में करीब सौ से अधिक ओपीडी होती है जिन्हें केवल एक डाक्टर देख रहा है।

-प्रीतम सिंह सीएचसी भराड़ी को पचास बिस्तर का दर्जा दे दिया गया है, लेकिन यहां पर डॉक्टरों की तैनाती न के बराबर है। ओपीडी भवन का निर्माण किया गया था, लेकिन इसका उद्घाटन नहीं हो पाया है।

-विजय चौधरी स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा 15 से बढ़ाकर 50 बिस्तर का कर दिया हो, लेकिन यहां पर सुविधाएं आज भी शून्य हैं। पांच चिकित्सकों के पद मंजूर किए गए हैं, लेकिन यहां पर दो ही डॉक्टर तैनात हैं।

मदन लाल शर्मा


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