एम्स की मंजूरी के लिए टीसीपी को सौंपा केस
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स बिलासपुर की मंजूरी के लिए केस टीसीपी विभाग को सौंप दिया है।
कमलेश रतन भारद्वाज, बिलासपुर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बिलासपुर के कोठीपुरा में 48 माह में एम्स का निर्माण करने का दावा किया था। लेकिन एक वर्ष बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने भवन निर्माण का केस टीसीपी विभाग बिलासपुर को मंजूरी के लिए फाइल कर दिया है। मंत्रालय ने मास्टर प्लान समेत भवन के नक्शे की विस्तृत रिपोर्ट विभाग को सौंपी है। सोमवार को विभाग की टीम ने एम्स बिलासपुर की साइट का दौरा किया है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार मास्टर प्लान को मंजूरी देने के लिए अब ऑनलाइन की बजाए ऑफलाइन प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी। टीसीपी के अधिकारी भवन के नक्शे को सत्यापित करने के बाद ही सरकार को मंजूरी के लिए केस भेजेंगे। ऑफलाइन प्रक्रिया में मंजूरी को काफी समय लग सकता है। इतने बड़े प्रोजेक्ट को ऑनलाइन मंजूरी देना संभव नहीं है। इस कारण टीसीपी विभाग मंजूरी के लिए ऑफलाइन तरीके से प्रक्रिया को पूरा करेगा। एम्स के पहले चरण का निर्माण कार्य कुछ माह पहले शुरू हो गया है।
बिलासपुर के कोठीपुरा में 1229 बीघा जमीन पर एम्स का निर्माण होगा। इसकी चारदीवारी पर करीब 20.55 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। आठ माह में यह कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि वन विभाग की क्लीयरेंस व टीसीपी की मंजूरी मिलना बाकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अक्टूबर 2017 को बिलासपुर दौरे के दौरान एम्स का नींव पत्थर रखा था। एम्स के निर्माण पर 1351 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें अलग-अलग विभाग के स्पेशलिस्ट डॉक्टर बैठेंगे। हर साल एमबीबीएस के साथ नर्सें भी प्रशिक्षण लेंगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने दावा किया था 48 माह में एम्स का निर्माण कार्य पूरा कर दिया जाएगा। अक्टूबर 2014 को उन्होंने एम्स खोलने की घोषणा की थी। अभी तक वन विभाग की क्लीयरेंस व टीसीपी से मंजूरी मिलना बाकी है। ऐसे में एम्स के निर्माण के लिए अभी काफी समय लग सकता है।
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूरी के लिए केस फाइल कर दिया है। विभाग भवनों के नक्शे को सत्यापित करेगा। यह बड़ा प्रोजेक्ट है। इसमें ऑफलाइन तरीके से कार्य किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। सोमवार को साइट का दौरा किया गया है।
-निशा कपूर, सहायक टाऊन प्लानर बिलासपुर