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एम्स पर भारी विभागों की सुस्ती

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के सपनों के अस्पताल एम्स को धरातल पर उतारने के लिए जिला प्रशासन गंभीर नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 06:01 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 06:01 PM (IST)
एम्स पर भारी विभागों की सुस्ती
एम्स पर भारी विभागों की सुस्ती

जागरण संवाददाता, बिलासपुर : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के सपनों के अस्पताल एम्स को धरातल पर उतारने के लिए जिला प्रशासन गंभीर नहीं है। भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है। एम्स के दायरे में आ रही करीब चार सौ बीघा जंगलात भूमि और करीब डेढ़ सौ बीघा दूसरे विभागों के स्वामित्व वाली भूमि का तीन साल में ज्वाइंट निरीक्षण तक नहीं हो पाया है। अधिकारियों ने इस काम को एक-दूसरे के भरोसे छोड़कर दो से तीन महीने में होना वाला काम तीन साल से लटका रखा है। एक-एक फाइल से जुड़ी हुई औपचारिकताएं पूरी करने में साल से ज्यादा का समय लगाया जा रहा है। लापरवाही व गैर जिम्मेदारी इस कद्र बढ़ चुकी है कि एम्स के लिए तय जमीन के साझे निरीक्षण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संबंधित इलाके में पहुंचे जिले के एडीएम को मौके पर जाकर पता चला कि जिस भूमि का साझा निरीक्षण होना है, उसे अभी तक संबंधित विभागों ने चिह्नित ही नहीं किया है।

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कोठीपुरा इलाके में बनना है एम्स

बिलासपुर जिला मुख्यालय के पास पड़ने वाले कोठीपुरा इलाके में एम्स का निर्माण प्रस्तावित है। केंद्रीय मंत्री जेपी नड़डा इसे केंद्र सरकार व अपनी बिलासपुर जिले के लिए बड़ी उपलब्धि बताते आ रहे हैं। एम्स के नाम पर पिछला विधानसभा चुनाव भी भाजपा के पक्ष में गया, इसमें कोई संदेह नहीं है। खुद जेपी नड्डा ने अपने प्रचार अभियानों में बिलासपुर जिले को एम्स की सौगात दिए जाने को जनता के बीच में प्रमुख मुद्दे के रूप में उछाला था। पिछले वर्ष इसका शिलान्यास भी कर दिया था। सूत्रों ने बताया कि पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एम्स के लिए चिह्नित की गई जमीन में से करीब छह सौ बीघा जमीन का तबादला स्वास्थ्य विभाग के नाम पर होना था। उस दौरान प्रशासनिक व विभागीय अधिकारियों ने इस मसले को ठंडे बस्ते में डाले रखा। करीब साढे़ चार सौ बीघा जमीन जंगलात महकमे की है। इस पर हजारों के हिसाब से हरे पेड़ हैं। इस जमीन का तबादला होने से पहले सरकार को जिला प्रशासन व सरकारी विभागों के माध्यम से एफसीए केस तैयार करके इसकी मंजूरी ली जानी थी लेकिन यह मामला लगभग तीन साल से फाइलों में ही घूम रहा है। एफसीए केस तैयार करने के लिए जिला प्रशासन को जमीन की एक साझी इंस्पेक्शन करनी थी, जिसमें जमीन की स्थिति व इस पर खडे पेडों आदि के हालात को लेकर सभी विभागों के अधिकारियों ने साझी रिपोर्ट देनी थी। अधिकारियों में तालमेल की कमी की वजह थी कि जब एडीएम मौके पर निरीक्षण के लिए गए तो वहां पर जमीन चिह्नित ही नहीं थी।

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अधिकारियों ने यह कहा

खुद एडीएम विनय कुमार मान रहे हैं कि जब जमीन मा‌र्क्ड ही नहीं थी तो वह कैसे निरीक्षण करते। दूसरी ओर जिला राजस्व अधिकारी ने बताया कि उन्होंने मौके पर जमीन की निशानदेही पूरी कर ली है। साझा निरीक्षण एडीएम ने पूरा कर लिया है। अब एफसीए केस तैयार करके पर्यावरण मंत्रालय को भेजेंगे। हालांकि एडीएम ज्वाइंट इंस्पेक्शन पूरी होने से इन्कार कर रहे हैं। उन्होंने कहा वह मेले की ड्यूटी पर हैं। वहां से लौटने के बाद ही इस प्रकिया को पूरा करने में फिर से जुटेंगे।


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