पहाड़ी युवाओं में होता है ये खास गुण, हिमाचल के मयंक ने किया साबित
एंडुरोमन ट्रायथलन दुनिया की सबसे कठिन स्पर्धाओं में से एक है मयंक कहते हैं कि पहाड़ों पर रहने वालों में बेस्ट ट्रायथलीट के सभी गुण होते हैं।
बिलासपुर, राजेश्वर ठाकुर। एंडुरोमन ट्रायथलन में विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले मयंक वैद हिमाचल में प्रतिभाएं तराशना चाहते हैं। उनका मानना है कि यहां युवाओं को सही राह दिखाई जाए तो वे हर मंजिल हासिल कर सकते हैं। बिलासपुर जिले के नोआ गांव निवासी मयंक अब हांगकांग में रहते हैं। वह वहां पर निजी कंपनी के लीगल एडवाइजर हैं। उनके माता-पिता का देहावसान हो चुका है। पिता अशोक वैद बीएसएफ से आइजी रिटायर हुए थे और माता नीरू वैद भाजपा नेत्री थीं। उनकी माता आठ वर्ष पहले जबकि पिता दो वर्ष पहले स्वर्ग सिधार चुके हैं। मयंक ने हांगकांग की रहने वाली थेरेसा से शादी की है और अब वहीं पर स्थायी रूप से रहते हैं।
मयंक ने हांगकांग से दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि उनके दादा पं.संत राम का घर शाहतलाई के पास नघियार गांव में था। वह बिलासपुर रियासत में पहले न्यायाधीश और बाद में गृह मंत्री भी रहे। सन 1991 में वह बिलासपुर में आकर बस गए थे। नोआ गांव में ही उनके पिता ने घर बनाया। बिलासपुर के डियारा सेक्टर में उनकी चाची किरण वैद रहती हैं। वह नवोदय विद्यालय में शिक्षिका रही हैं। मयंक का बड़ा भाई शशांक वैद यूनिर्वसिटी ऑफ हैमिलटन में प्रोफेसर हैं। दोनों भाई कभी-कभार घर आते हैं। मां-बाप की संपत्ति की देखभाल के लिए उन्होंने एक युवक को तैनात किया है।
क्या है एंडुरोमन ट्रायथलन
यह दुनिया की सबसे कठिन स्पर्धाओं में से एक है। इसमें दौड़ (140 किमी), तैराकी (33.8 किमी) और साइकलिंग (289.7 किमी) के जरिए इंग्लैंड से फ्रांस तक की यात्रा करनी होती है। रिकॉर्ड के पीछे पत्नी का भी हाथ मयंक के अनुसार ट्रायथलन में विश्व रिकॉर्ड बनाने में पत्नी थेरेसा का बड़ा हाथ है। जब वह साइकलिंग के दौरान 295 किलोमीटर की लंबी और आठ घंटे की अंधेरी दौड़ में बुरी तरह से थक गए थे और हिम्मत टूट रही थी तो पत्नी ने उन्हें प्रेरणा दी। उसकी बदौलत वह विश्व रिकॉर्ड बना पाए।
पहाड़ी युवाओं में अच्छा ट्रायएथलीट बनने के गुण
मयंक कहते हैं कि पहाड़ों पर रहने वालों में बेस्ट ट्रायथलीट के सभी गुण होते हैं। वे पहाड़ पर दौड़ सकते हैं। हर दिन स्कूल-कॉलेज जाने के लिए खड़ा पहाड़ चढ़ते और उतरते हैं। हिमाचल के ऐसे युवा इस विधा में विश्वभर में नाम रोशन कर सकते हैं। विश्व में बेस्ट एथलीट इथोपिया और केन्या से संबंधित हैं। वे चाहते हैं कि हिमाचल से स्वेच्छा से कुछ युवा प्रशिक्षण के लिए आगे आएं। जब वह 42 साल की उम्र में यह कर सकते हैं तो हिमाचल के 18 या 19 वर्ष के युवा क्यों नहीं कर सकते।
डी मांडवां में बना रहे बहुमंजिला होटल
दिल्ली, चंडीगढ़ व दूसरे स्थानों पर हिमाचल के युवाओं को होटलों में नौकरी करते देख दुख होता है कि क्यों उन्हें बाहर जाकर काम करना पड़ता है। उन्होंने अब बिलासपुर के मंडी मांडवां के पास हाईवे किनारे बहुमंजिला होटल बनाना शुरू किया है। यहां वह प्रदेश के युवाओं को रोजगार देंगे। नापना चाहते हैं गोबिंदसागर झील मयंक कहते हैं कि वह गोबिंदसागर झील को बरमाणा से भाखड़ा तक तैरकर पूरा करना
चाहते हैं। हिमाचल सिर्फ पर्यटन स्थल ही नहीं है बल्कि यहां के युवाओं में एथलेटिक्स, स्विमिंग और साइकलिंग में भी काफी क्षमता है। वह युवाओं को ट्रायथलन खेल की इन तीनों विधाओं (दौड़, तैराकी व साइकलिंग) में पारंगत करना चाहते हैं। इसके लिए वह जल्द अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के माध्यम से युवाओं
को मंच प्रदान करेंगे। उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व बिलासपुर प्रवास के दौरान खेल संघों से बात की थी कि वह युवाओं को आगे लाने के प्रयास करें तो उन्हें हर मंच देने के लिए तैयार हैं। वह जल्द बिलासपुर आएंगे और युवाओं को ट्रायथलन से जोड़ने के लिए प्रयास करेंगे।
सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लगा पाएं आय व रोजगार, जानें कब करें आवेदन; कितना आएगा खर्च
अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में आने से देवता कर सकते हैं इंकार, बतायी ये खास वजह