बहुत जरूरी है आंखों की देखभाल
औद्योगिक कार्यस्थलों में कार्य करने वाले कर्मचारी अगर कुछ सुझावों पर अमल करें, तो वे आंखों को बेहतर ढंग से सुरक्षित रख सकते हैं...
दुनिया के कार्यरत कर्मचारियों में से लगभग 12 करोड़ कर्मचारी ऐसे उद्योगों में काम करते हैं, जहां आंखों में गंभीर चोटें लगने की आशंकाएं ज्यादा होती हैं। ऐसी परिस्थितियों में अधिकतर देखा गया है कि आंखों की चोट सामान्य चोट नहीं बल्कि गंभीर होती है और ज्यादातर उन्हें लगती है, जो युवावस्था में होते हैं। इस कारण एक बड़ी सामाजिक कीमत भी चुकानी पड़ती है।
विभिन्न कण बने कारण
कार्यस्थल पर लगने वाली आंखों की चोटों से संबंधित अधिकतर घटनाएं छोटे-छोटे कणों के कारण ही होती हैं।
जैसे लकड़ी के टुकड़े, धातु के टुकड़े, धूल या चिंगारी आदि। आंखों की पुतलियों में धातु के कणों के घुसने के कारण पूर्ण रूप से दृष्टि को नुकसान पहुंच सकता है। प्रमुख चोटें जैसे फोटोरेटिनाइटिस (चोट लगने से रेटिना का विकारग्रस्त होना) और फ्लैश कन्जंक्टिवाइटिस नामक रोग आदि कर्मचारी की जिंदगी भर के लिए आंखों की रोशनी को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा आंखों की छोटी-छोटी चोटें भी लंबे समय के लिए व्यक्ति के लिए देखने की समस्या उत्पन्न कर सकती है। जैसे बार-बार सीमेंट या लकड़ी के चूरे के आंखों में घुसने से होने वाली कॉर्नियल इरोसन नामक समस्या।
फस्र्ट एड टिप्स
-आंखों में चोट लगने के तुरंत बाद इन्हें मलना नहीं चाहिए। आंखों को तुरंत पानी से धोना चाहिए।
- आंखों पर कभी पट्टी नहीं बांधनी चाहिए।
- अगर चोट किसी रासायनिक पदार्थ की वजह से लगी हो और यदि चोट लगने के कारण आंखों में खून आए, थकान महसूस हो, इधर-उधर देखते समय दर्द हो या देखने की क्षमता में बदलाव आए, तो पीडि़त को विलंब किए बगैर शीघ्र ही नेत्र विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए।
-यदि आंखों में कोई नुकीला पदार्थ चले जाने की वजह से चोट लगी है, तो उसे जल्द से जल्द पास के नेत्र अस्पताल में लेकर जाना चाहिए।
-अगर आंख में कोई पदार्थ फंसा हुआ है, तो उसे नहीं छेडऩा चाहिए। शीघ्र ही नेत्र विशेषज्ञ के पास जाएं।
-आंखों की चोटें गंभीर होती हैं और इनका इलाज लंबा भी चल सकता है। कुछ मामलों में आंखों की दृष्टि को बचाने के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।
डॉ.राजीव जैन आई स्पेशलिस्ट, नई दिल्ली