मधुमेह रोगियों के जीवन को आसान बनाएंगे कृत्रिम अग्न्याशय
यह खबर मधुमेह से पीड़ित रोगियों के लिए सचमुच राहत देने वाली खबर है।
मधुमेह के रोगियों के रक्त में ग्लूकोज का निरीक्षण करने के साथ शरीर में प्रवेश करने वाले इंसुलिन का स्तर स्वत: ही सही करने वाले कृत्रिम अग्न्याशय आने वाले दो सालों में उपलब्ध हो जाएंगे। यह खबर मधुमेह से पीड़ित रोगियों के लिए सचमुच राहत देने वाली खबर है। क्योंकि वर्तमान में जो प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, वह ग्लूकोज मीटर से रीडिंग लेने के बाद मधुमेह के रोगियों में इंसुलिन पहुंचाने का काम करती है लेकिन ये दोनों घटक अलग-अलग होते हैं।
इस कृत्रिम अग्न्याशय पर रिसर्च करने वाले शोधकर्ताओं ने कहा है कि 'दोनों हिस्सों को आपस में जोड़ देने से एक ‘बंद कुंडली’ बन जाती है, जिससे कृत्रिम अग्न्याशय बनते हैं'। कृत्रिम अग्न्याशयों को कई तरीकों से इस्तेमाल करके कई चिकित्सीय अध्ययन किए जा चुके हैं। ये अध्ययन बच्चों के लिए लगे मधुमेह शिविरों और घरों पर परीक्षण में किए गए हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि इनमें से कई परीक्षणों ने ग्लूकोज नियंत्रण में मौजूदा प्रौद्योगिकियों से बेहतर प्रदर्शन किया है। कई अध्ययन अभी भी जारी हैं।
इन कृत्रिम अग्न्याशय को उपलब्ध करवाने की असल समयसीमा नियामक एजेंसियों से मंजूरी पर निर्भर करती है। इस समय यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) प्रस्तावित कृत्रिम अग्न्याशयों की समीक्षा कर रहा है और इसके लिए वर्ष 2017 तक मंजूरी मिलने की संभावना है। यूके नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च की ओर से की गई हालिया समीक्षा में कहा गया कि बंद कुंडली वाली प्रणालियां वर्ष 2018 के अंत तक यूरोपीय बाजार में आ सकती हैं। आपको बता दें कि यह अध्ययन डाइबेटोलोजिया नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ।
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