वरदान हैं योगासन
वैसे तो आसनों की फेहरिस्त लंबी है, लेकिन कुछ सहज चुनिंदा आसन ऐसे भी हैं, जिन्हें करके किसी भी व्यक्ति के लगभग सभी आंतरिक और बाह्य अंग सशक्त होते हैं...
शरीर को लचीला रखे हलासन विधि
- समतल जमीन पर आसन बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं और बाज़ू सीधी रखते हुए हथेलियों को जमीन पर टिका दें।
- सांस भरते हुए और टांगों को सीधा रखते हुए 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं।
- सांस छोड़ते हुए कमर और कूल्हों को ऊपर उठाएं। फिर पैरों को सिर के पीछे की तरफ ले जाएं और पैरों की अंगुलियों से जमीन को छूने का प्रयास करें।
-सांस भरते हुए टांगों को वापस ऊपर की तरफ लाएं और बिना सिर उठाए धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं।
लाभ
1.रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
2.हाजमा दुरुस्त रखता है।
3. यह आसन महिलाओं में गर्भाशय के विकारों से राहत दिलाता है।
सावधानियां:
हाई ब्लडप्रेशर, रीढ़ की चोट, हाल ही में पेट के ऑपरेशन एवं गर्भवती महिलाएं इसे न करें किडनी के लिए
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भुजंगासन
विधि
- आसन बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
- सांस सामान्य रहे।
- माथे को जमीन पर और हाथों को कंधों के पास इस तरह से टिकाएं कि कोहनियां पीछे की तरफ शरीर के पास आ जाएं।
- टांगों और पैरों को सीधा रखते हुए आपस में मिला लें।
- धीरे-धीरे सांस भरें और हाथों को जमीन पर अच्छी तरह से टिकाते हुए कंधों के सहारे नाभि तक के हिस्से को इस प्रकार ऊपर की तरफ उठाएं कि छाती सामने की ओर आ जाए।
-गर्दन को पीछे की तरफ करते हुए ऊपर आकाश की ओर देखने का प्रयास करें।
- इस स्थिति में यथाशक्ति रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पूर्व स्थिति में लौट आएं।
लाभ
1. किडनी, छाती, पीठ, गर्दन और कंधों की मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाता है।
2. हृदय एवं फेफड़ों के लिए लाभप्रद है।
मत्स्यासन से स्पाइन रहे स्वस्थ
विधि:
- स्वच्छ वातावरण में समतल जमीन पर आसन बिछाकर सुखासन में बैठ जाएं।
-कुछ देर सांस को सामान्य करने के बाद पद्मासन लगा लें।
- हाथों का सहारा लेकर पीठ को पीछे की ओर धीरे-धीरे लाते हुए पीठ के बल लेट जाएं।
-पैरों के अंगूठों को पकड़कर उन्हें थोड़ा अपनी तरफ लाएं और पद्मासन को ठीक करते हुए घुटनों को जमीन पर टिका दें।
- सांस भरें और पीठ, कंधों को ऊपर उठा गर्दन को पीछे की तरफ ले जाएं। सिर के भाग को जमीन पर टिका दें।
- पैरों के अंगूठों को पकड़ लें और सांस को सामान्य रखते हुए यथाशक्ति रुकने के बाद पद्मासन खोल लें।
लाभ
1.रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखता है।
2.प्रजनन अंगों को सशक्त बनाता है।
3.सांस के रोगों को दूर करने में सहायक है।
सभी अंगों के लिए सर्र्वांगासन
विधि
-स्वच्छ शुद्ध वातावरण में आसन बिछाकर, करवट लेते हुए पीठ के बल लेट जाएं।
- बाज़ुओं को कमर के पास सीधा रखते हुए हथेलियों को जमीन पर टिका दें।
-पैर को आपस में मिलाकर और टांगों को सीधा रखकर सांस भरते हुए टांगों को ऊपर की तरफ लाएं और कोहनियों को जमीन पर अच्छी तरह से टिकाने के बाद दोनों हाथों से पीठ को सहारा दें।
-कमर व टांगों को इस प्रकार सीधा करें कि पैर आकाश की तरफ हो जाएं।
-सीने को ठुड्डी के साथ लगाएं।
- तत्पश्चात पूर्वस्थिति में आ जाएं।
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लाभ
1. रक्त संचार ठीक होता है और नर्वस सिस्टम उचित रूप से काम करता है।
सावधानी: हृदय रोगी इस आसान को न करें।
योगाचार्य हरीश मोहन
जीवा आयुर्वेद, फरीदाबाद