एडिनॉइड हाइपरट्रॉफी परेशान होने की जरूरत नहीं
यह रोग अक्सर बच्चों को होता है, जिसे लेकर अभिभावक परेशान हो जाते हैं, लेकिन अब उन्हें चिंतित होने की जरूरत नहींं हैं...
यह रोग अक्सर बच्चों को होता है, जिसे लेकर अभिभावक परेशान हो जाते हैं, लेकिन अब उन्हें चिंतित होने की जरूरत नहींं हैं...
बच्ची रिया के कान में अक्सर दर्द हुआ करता था। इस वजह से रिया के पापा उसे मेडिकल
स्टोर से दर्दनिवारक दवा लाकर पिला देते थे। यही नहीं, रिया के दांत भी टेढ़े-मेढ़े निकल रहे थे। इस वजह से रिया की मां अंजलि उसे डेंटिस्ट के पास भी लेकर गयीं। एक रात जब रिया के कान में तेज दर्द हुआ, तो रिया के मम्मी-पापा उसे मेरे पास लेकर गये।
डॉक्टर द्वारा पूछने पर रिया की मम्मी ने बताया
कि सोते समय रिया का मुंह खुला रहता है और उसे पिछले कुछ समय से कुछ कम भी सुनाई देता है। रिया का ठीक से चेकअप करने और एक्सरे कराने के बाद मुझे पता चला कि रिया के एडिनॉइड काफी बड़े हैं। मैंने उसके एडिनॉइड को निकाले जाने की सलाह दी, लेकिन शुरुआत में तो रिया के मम्मी-पापा को कुछ डर लगा, किन्तु मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि यह पूर्णतया सुरक्षित है और इसमें कोई चीरा या टांके भी नहीं लगते और यह ऑपरेशन दूरबीन विधि से किया जाता है।
पूर्णतया आश्वस्त होने पर रिया के मम्मी-पापा ने उसका ऑपरेशन कराया। अब रिया को पिछली सारी दिक्कतें दूर हो गई हैं और वह पूरी तरह से स्वस्थ है।
क्या होते हैं एडिनॉइड
ये नाक के पिछले भाग में स्थित एक प्रकार के लिम्फॉइड टिश्यूज होते हैं। इन्हें सामान्य रूप से
देखा नहीं जा सकता है। बच्चों में खासतौर पर 11 से 12 वर्ष की आयु तक इनका आकार तेजी से बढ़ता है। इसलिए यह रोग बच्चों में ज्यादा पाया जाता है। वयस्कों में बहुत कम मामले ही सामने आते हैं।
रोग के लक्षण
- नाक से सांस लेने में दिक्कत और मुंह खोलकर सांस लेना।
- बार-बार जुकाम होना।
- अक्सर कान में दर्द होना।
- कम सुनाई पडऩा।
- दांत टेढ़े-मेढ़े होना।
उपचार
उपर्युक्त लक्षणों के प्रकट होने पर ई.एन.टी. सर्जन
को तुरंत दिखाएं। दवाओं और ऑपरेशन से मरीज को पूर्ण आराम मिल जाता है। आजकल यह ऑपरेशन एंडोस्कोपिक विधि द्वारा किया जाता है। इस विधि में कोई चीरा या टांका नहीं लगता और यह पूरी तरह सुरक्षित है। ऑपरेशन के दूसरे-तीसरे दिन से ही बच्चा स्कूल जा सकता है।
डॉ. सौरभ गुप्ता (एमएस)
नाक, कान व गला विशेषज्ञ