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स्टेम सेल थेरेपी उम्मीद का उजाला बिखेरने में सक्षम है

स्टेम सेल थेरेपी क्या है और विभिन्न रोगों में इसकी सफलता का आंकड़ा क्या है? स्टेम सेल्स शरीर की मूल कोशिकाएं (सेल्स) होती हैं, जो शरीर में किसी भी प्रकार की सेल्स के निर्माण में सक्षम होती हैं। जब इन सेल्स को रोगी के रक्त में प्रवाहित या उसके शरीर के किसी भाग में प्रत्यारोपित किया जा

By Edited By: Published: Tue, 05 Nov 2013 01:30 PM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2013 01:30 PM (IST)
स्टेम सेल थेरेपी उम्मीद का उजाला बिखेरने में सक्षम है

स्टेम सेल थेरेपी क्या है और विभिन्न रोगों में इसकी सफलता का आंकड़ा क्या है?

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स्टेम सेल्स शरीर की मूल कोशिकाएं (सेल्स) होती हैं, जो शरीर में किसी भी प्रकार की सेल्स के निर्माण में सक्षम होती हैं। जब इन सेल्स को रोगी के रक्त में प्रवाहित या उसके शरीर के किसी भाग में प्रत्यारोपित किया जाता है, तो उसे स्टेम सेल थेरेपी कहते हैं। इस थेरेपी के मूल स्वरूप (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) का प्रयोग कैंसर के मामलों में पिछले 40 सालों से हो रहा है,लेकिन समय के साथ जब स्टेम सेल्स को परिष्कृत कर अन्य रोगों में भी इसका प्रयोग किया गया, तब आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए। यह थेरेपी चिकित्सा विज्ञान की नई पद्धति के रूप में उभरी है। जहां तक आंकड़ों का सवाल है, तो यह विभिन्न रोगों में अलग-अलग हैं, लेकिन मोटे तौर पर आटोलोगस सेल्स (स्वयं के शरीर से प्राप्त कोशिकाएं) ट्रांसप्लांटेशन एक सुरक्षित और कारगर विधि है। खासतौर पर उन रोगियों के लिए जिन पर मौजूदा इलाज(स्टैंडर्ड मेडिकल ट्रीटमेंट) विफल हो चुका है और रोगी की स्थिति दिनोंदिन बदतर होती जा रही हो।

स्टेम सेल थेरेपी को लेकर मेडिकल कम्युनिटी दो भागों में विभक्त है। कुछ इसकी प्रामाणिकता से सहमत हैं और कुछ इससे असहमत हैं। इस बारे में आपकी राय क्या है?

जब भी कोई नई मेडिकल पद्धति प्रचलन में आती है, तो शुरू से ही उसे शंका की दृष्टि से देखा जाता है। लेकिन जब क्लीनिकल ट्रायल और पायलट स्टडी में अच्छे परिणाम सामने आते हैं, तब उस नई मेडिकल पद्धति का रोगियों पर प्रयोग किया जाता है। यह बात स्टेम सेल थेरेपी के संदर्भ में भी लागू होती है। मेडिकल साइंस की रोशनी में अब स्टेम सेल थेरेपी की प्रामाणिकता के संदर्भ में शंकाओं का दौर खत्म होना चाहिए। मेरी राय में यह थेरेपी लाइलाज रोगों का आधुनिक इलाज है।

चूंकि इस पद्धति में ज्यादातर कार्य स्टेम सेल बॉयोलॉजिस्ट और क्लीनिकल रिसर्चर द्वारा किया जाता है। इसलिए आम तौर पर डॉक्टरों में इसका प्रचलन कम है। लेकिन देश और विदेश के लगभग सभी बड़े मेडिकल संस्थानों में इस थेरेपी का प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसी दिशा में हम लोगों ने अनुभवी पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर्स का ट्रेनिंग प्रोग्राम भी शुरू किया है।

अक्सर ऐसा देखा गया है कि स्पाइनल कॉर्ड इंजरी का रोगी ताउम्र अपंगता का शिकार हो जाता है। ऐसे रोगियों में स्टेम सेल थेरेपी की क्या भूमिका है और यह कितनी मददगार है?

स्पाइनल कॉर्ड इंजरी एक गंभीर समस्या है, लेकिन बीते पांच सालों के आंकड़ों से यह पता चलता है कि जो रोगी इंजरी के समय से ही स्टेम सेल थेरेपी का प्रयोग करते हैं, उनकी रिकवरी की संभावना बढ़ जाती है। खासतौर से ऐसे रोगी जिन्हें कमर के निचले भाग में चोट लगी हो। इसलिए अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल में चोट के तुरंत बाद सर्जरी और स्टेरॉयड थेरेपी के साथ-साथ स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन की सलाह दी गयी है।

अनेक बीमारियां 'जीन' के विकार से पैदा होती हैं, जो लाइलाज समझी जाती हैं। ऐसे रोगों के इलाज में स्टेम सेल थेरेपी की क्या कोई भूमिका है?

मस्कुलर डिस्ट्राफी 'जीन' के विकार से संबंधित एक रोग है। यह रोग बेहतर इलाज के बावजूद बढ़ता जाता है और कुछ पीड़ित व्यक्तियों में अपंगता का कारण बनता है, तो वहीं कुछ पीड़ितों के लिए यह रोग जानलेवा भी साबित होता है। ऐसे रोगियों में स्टेम सेल थेरेपी ने आश्चर्यजनक परिणाम दिए हैं। इस थेरेपी के प्रयोग के बाद मरने वालों का आंकड़ा 90 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत तक रह गया है और ज्यादातर रोगी पहले से बेहतर हैं।

तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) से संबंधित ज्यादातर रोग क्रॉनिक या न सुधरने वाले रोगों की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं। ऐसे रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के इलाज में स्टेम सेल थेरेपी की क्या कुछ उपयोगिता है?

युवाओं और उम्रदराज लोगों में होने वाली मोटर न्यूरॉन डिजीज या एमायोट्रोपिक लेटीरल स्क्लीरोसिस एक गंभीर और लाइलाज समस्या है। इस रोग में स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन से बीमारी को बढ़ने से रोकने में या इसे सीमित रखने में सहायता मिली है।

इन दिनों बाल रोगों जैसे सेरीब्रल पेल्सी व ऑटिज्म आदि पर मेडिकल समुदाय काफी तवज्जाो दे रहा है, लेकिन कारगर नतीजे सामने नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे मामलों में स्टेम सेल थेरपी की क्या भूमिका है?

बच्चों में तंत्रिका तंत्र से संबंधित रोगों में सेरीब्रल पेल्सी(ऑक्सीजन की कमी से मस्तिष्क में आया विकार), ऑटिज्म(बच्चे के बोलने व समझने की क्षमता का कम होना) और डेवलपमेंटल डिले(शारीरिक व मानसिक विकास का धीमा होना)आदि को शुमार किया जाता है। ऐसे रोगों में आटोलोगस बोन मैरो सेल ट्रांसप्लांटेशन ने आशा से अधिक अच्छे परिणाम दिए हैं। यही नहीं, विभिन्न रोगियों में दो साल के अंदर 40 से 50 प्रतिशत तक की रिकवरी दर्ज की गयी है। दुनिया के कई मेडिकल संस्थानों ने इसका प्रयोग भी किया है।

दिनोंदिन वातावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इस स्थिति में फेफड़ों से संबंधित रोगों (लंग डिजीजेज) में स्टेम सेल थेरेपी का क्या रोल है?

लंग फाइब्रोसिस या संक्षेप में आईएलडी एक खतरनाक और जानलेवा रोग है, लेकिन एक विशिष्ट प्रकार की सेल्स ने ऐसे रोगियों में हाल में ही अच्छे नतीजे देने शुरू किए हैं। विगत एक साल में स्टेम सेल थेरेपी लेने वाले लगभग सभी रोगियों की स्थिति में पहले से काफी सुधार हुआ है।

देश और विदेश के कई बड़े मेडिकल इंस्टीट्यूट्स में हार्ट संबंधी मामलों में स्टेम सेल्स के प्रयोग पर शोध-अनुसंधान जारी हैं, जिनका वर्तमान 'स्टेटस' क्या है?

जर्मनी स्थित यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल रोस्टॉक में हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर ट्यूरान का एक लेख 'जर्नल ऑफ सेलुलर एन्ड मोलीक्यूलर मेडिसिन' में प्रकाशित हुआ था। इस लेख के अनुसार हार्ट अटैक के तुरंत बाद आटोलोगस बोन मैरो स्टेम सेल्स के प्रयोग से हृदय की मांसपेशी की मृत कोशिकाओं(डेड सेल्स)की संख्या कम हो जाती है। साथ ही, हृदय की मांसपेशी भी बेहतर शक्ति (इजेक्शन फैक्शन)से कार्य करती है।

हाल में ही कैंसर से संबंधित मामलों में टी सेल थेरेपी की उपयोगिता के बारे में कुछ जानकारी मिली है। क्या कैंसर के इलाज में यह थेरेपी भी स्टेम सेल थेरेपी का हिस्सा है?

रक्त में पायी जाने वाली टी सेल्स एक विशिष्ट प्रकार की कोशिकाएं होती हैं, जो कैंसर केसेज में काफी प्रभावी होती हैं, लेकिन ये स्टेम सेल्स नहीं हैं। कैंसर के ऐसे रोगी जिनके मामले में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी विफल हो चुकी है, उनके लिए कैंसर को कंट्रोल करने और रोगी को जीवित रखने में टी सेल्स की विशिष्ट भूमिका सामने आयी है।

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