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मधुमेह को काबू में रखता है सत्तू

जीवन के पांच दशक पार कर चुके और अब गंवई से शहरी हो चुके लोगों को बहुत कुछ भूल जाने के बाद भी सत्तू का सोंधा स्वाद यकीनन आज भी नहीं भूला होगा।

By Edited By: Published: Fri, 10 May 2013 11:14 AM (IST)Updated: Fri, 10 May 2013 11:14 AM (IST)
मधुमेह को काबू में रखता है सत्तू

वाराणसी। जीवन के पांच दशक पार कर चुके और अब गंवई से शहरी हो चुके लोगों को बहुत कुछ भूल जाने के बाद भी सत्तू का सोंधा स्वाद यकीनन आज भी नहीं भूला होगा। बाबा, आजी, माई, बाबूजी की गोद में बैठकर 'लबरी' या 'पिंडी' की शक्ल में सत्तू का रसास्वादन कोई भुला भी कैसे सकता है। उस वक्त भले ही यह बात नहीं मालूम हो लेकिन अब वे यह जान लें कि यह सत्तू बड़ा ही करामाती है। इसमें मधुमेह को काबू में रखने की शक्ति है। वैसे भी आजकल फास्ट फूड का प्रचलन है लेकिन भारतीय गंवई जीवन में तो यह सत्तू पहले से ही 'तुरंता' के नाम से मशहूर रहा है। आयुर्वेदविदों की सलाह है कि सत्तू के सेवन को अपनी नियमित दिनचर्या में ढालें और जीवन को स्वस्थ रखें।

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बदलें जीवन शैली

आयुर्वेद संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो.जे के ओझा कहते हैं कि आज की बदलती हुई जीवन शैली के कारण मधुमेह का आक्रमण बढ़ता जा रहा है। अगर परंपरागत जीवन पद्धति का अनुसरण किया जाए तो स्वस्थ समाज की परिकल्पना साकार हो सकती है। आज हालत यह है कि मधुमेह के रोगी इंसुलिन ले रहे हैं लेकिन यह रोग अपनी जकड़न नहीं छोड़ रहा। उनका कहना है कि मधुमेह और इंसुलिन के बीच ऐसा कोई तत्व है जिसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति खोज नहीं पाई है लेकिन आयुर्वेद में इसका उल्लेख है। इसे 'ओज' कहते हैं। यह शरीर में रस, रक्त, मांस, मेरू, अस्थि, मज्जा, शुक्र बनने के बाद बनता है। जब यह ओज कमजोर होता है तब मधुमेह अपनी पकड़ बनाने लगता है। यह ओज बनता है शुद्ध व संतुलित आहार, व्यायाम, औषधि व चिकित्सकीय परामर्श से। ओज शरीर की कोशिकाओं को जीवित रखता है।

भूनने से बदलता है अनाज का गुण

प्रो. ओझा कहते हैं कि अनाज को भूनने पर उसमें रासायनिक परिवर्तन होते हैं। इन दानों से वसा व शर्करा नष्ट हो जाते हैं और यह पोषक बन जाते हैं। प्रो.ओझा के अनुसार भारतीय परंपरागत जीवन में भोजन की शुद्धता ही स्वस्थ जीवन का आधार है। प्रकृति के अनुरूप जीवन शैली जरूरी है। सत्तू ऐसा खाद्य पदार्थ है जो पेट भरता है, मन भरता है और स्वस्थ जीवन की राह दिखाता है।

परंपरागत लक्षण

मधुमेह की जकड़न दिमाग, आंख, दिल, किडनी, स्नायुतंत्र आदि पर असर डालती है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में रक्त की जांच से शर्करा की मात्रा जानी जाती है लेकिन आयुर्वेद में इसकी पहचान इस प्रकार होती है। अगर शरीर पर लाल चीटियां चढ़ने को उद्यत लगें तो समझिए मधुमेह ने आक्रमण कर दिया है। अगर मूत्र पर भी लाल चीटियां चढ़ें तो मानिए कि मधुमेह शरीर में पैठ बना चुका है। ऊर्जा की कमी, चेहरे की प्राकृतिक चमक (ओज) का अभाव, सदैव भयाक्रांत, आलस्य की अनुभूति आदि ऐसे लक्षण हैं जो मधुमेह की आशंका को बल देते हैं।

ओंकार उपाध्याय

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