सामूहिक प्रयास से धरती की कोख से फुटी थी सरस्वती नदी की धारा
जागरण संवादाता, यमुनानगर : जिले के बाद इलाहबाद में सरस्वती की पवित्र धारा मिली है। यह समाचा
जागरण संवादाता, यमुनानगर : जिले के बाद इलाहबाद में सरस्वती की पवित्र धारा मिली है। यह समाचार सुनकर सरस्वती नदी में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं और शोधकर्ता काफी उत्साहित हैं। सामूहिक प्रयास के बाद मई, 2015 में मुगलवाली गांव में सरस्वती नदी की पवित्र धारा धरा पर आई थी। पांच सौ श्रमिकों की मेहनत का नतीजा था कि 15 दिन में इस पवित्र नदी की खोज की गई थी। सरस्वती शोध संस्थान के अध्यक्ष दर्शनलाल जैन मुख्य रूप से गठित कमेटी में शामिल थे।
सरस्वती की यह पवित्र जल धारा जिले के साथ अन्य सात जिलों से होकर बहेगी। इन जिलों के लोग भी सरस्वती के पवित्र जल का दर्शन कर सकेंगे। वर्तमान में इसकी खोदाई अभी जारी है।
सरस्वती नदी की पवित्र धारा प्रदेश के सात जिलों यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, फतेहाबाद, हिसार और सिरसा से होते हुए राजस्थान में प्रवेश करेगी। इसके बहाव के साथ ही इन जिलों और आसपास के लोगों की इस पावन नदी से आस्था जुड़ जाएगी। दर्शनलाल जैन के मुताबिक कुरुक्षेत्र में पहले ही खोदाई हो चुकी है, नदी के बहाव क्षेत्र को चौड़ा किया जा चुका है, जबकि कैथल में नदी के प्रवाह को लेकर कोई दिक्कत नहीं आएगी। ¨सचाई विभाग ने यमुनानगर जिले में बहने वाली सरस्वती नदी को रेखांकित कर लिया है।
मुस्लिम दंपती सलमा और रफीक का फावड़ा जमीन पर क्या पड़ा कि विलुप्त हो चुकी सरस्वती की धारा जल के रूप में बहने लगी। दोनों ने सोचा भी नहीं था कि उनका श्रमदान यमुनानगर के इतिहास में नया अध्याय जोड़ेगा।
इसरो और नासा के चित्र के आधार पर की गई थी खोदाई
दर्शनलाल जैन का कहना है कि इसरो और नासा के चित्रों के आधार पर खोदाई की गई थी। मुगलवाली गांव के बाद बिलासपुर के रुलाहेड़ी गांव में भी सरस्वती नदी का जल मिला था। यह जल भी मुगलवाली गांव में जमीन से निकले पानी की तरह है।
भूगर्भ वैज्ञानिकों ने किया था दौरा
अध्यक्ष ने बताया कि मुगलवाली गांव में सरस्वती नदी का जल निकलने का पता चलने पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के भूगर्भ वैज्ञानिक गांव में पहुंचे और जमीन से निकल रहे पानी के सैंपल लिए। सरस्वती के जल को देखने के लिए आसपास के लोग भी पहंच रहे हैं।
डीडीपीओ गगनदीप ¨सह ने बताया कि मुगलवाली गांव में जमीन से पानी निकलने के बाद से अभी तक खोदाई जारी है। पूरी उम्मीद है कि जमीन से प्रचुर मात्रा में सरस्वती नदी का जल निकलेगा।
सरस्वती की धारा होने के प्रमाण
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के जियोलॉजी (भू-विज्ञान) विभाग के चेयरमैन प्रो. डॉ. एआर चौधरी अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे। उन्होंने बताया कि प्राथमिक दृष्टि से ऐसा लग रहा है कि यहां पर जलस्त्रोत बहता था।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कर चुके हैं दौरा
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी सरस्वती नदी पर 18 जनवरी को पूजा अर्चना कर आचमन कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि वह सरस्वती नदी के विकास के लिए पैसे की कमी नहीं आने दी जाएगी। पानी की तरह पैसा बहा दिया जाएगा। यह लोगों की आस्था से जुड़ी है। सरस्वती नदी और पर्यटन से जुड़ी सभी मांगों को जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया था। उनके आने पर पांच राज्यों की 46 नदियों के जल से जलाभिषेक किया गया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी मौजूद थे। दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव पर सरस्वती नदी का जलाभिषेक कर इस मौके पर आयोजित यज्ञ में आहुति डाली।