परिवार नियोजन में यमुनानगर के पुरुषों की भागीदारी सबसे अधिक
आमतौर पर जनसंख्या नियोजन में जहां महिलाओं की भागीदारी अधिक ह
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
आमतौर पर जनसंख्या नियोजन में जहां महिलाओं की भागीदारी अधिक होती है। वहीं जिले में पुरुष भी इस भागीदारी में पीछे नहीं है। पुरुष नसबंदी कराने में जिला फिलहाल प्रथम स्थान पर है। प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना की यहां पर लक्ष्य से अधिक नसबंदी हो रही है। इसकी वजह से लगातार किया जा रहा प्रचार प्रसार व जागरूकता कार्यक्रम हैं। जिले में गत वर्ष 407 लोगों ने नसबंदी कराई। इस बार कोरोना की वजह से बीच में कैंप नहीं लगे। अब दोबारा से चार दिसंबर तक एनएसवी पखवाड़ा चलाया जा रहा है।
जनसंख्या नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने को लेकर सरकार की ओर से एनएसवी पखवाड़ा चलाया जाता है। 21 नवंबर से यह पखवाड़ा शुरू हो गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जागरूकता के लिए कार्यक्रम चलाए जाते हैं। लोगों को नसबंदी कराने के प्रति जागरूक किया जाता है, क्योंकि परिवार नियोजन में पुरुषों की काफी कम भागीदारी होती है। आंकड़ों की बात करें, तो यह मात्र एक फीसद है। जबकि महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी परिवार नियोजन अपनाने की जरूरत है। इसे देखते हुए ही हर वर्ष एनएसवी पखवाड़ा चलाया जाता है। दी जा रही प्रोत्साहन राशि :
उप सिविल सर्जन परिवार नियोजन डा. पूनम चौधरी ने बताया कि पुरुष नसबंदी कराने पर सरकार की ओर से दो हजार रुपये व प्रेरक को 300 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। पुरुष नसबंदी महिलाओं की नसबंदी से अधिक सुरक्षित है। कम समय में हो जाती है। यदि कोई परिवार चाहे तो पुरुष नसबंदी कराने के बाद इसे खुलवाया भी जा सकता है। जिससे आने वाले समय में यदि आवश्यकता हो तो दोबारा गर्भधारण किया जा सके। लगातार इस बारे में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। यही वजह है कि कई वर्षों से यमुनानगर जिला पुरुष नसबंदी में अव्वल है। यह है 2019- 20 की स्थिति :
जिला - लक्ष्य - ऑपरेशन
यमुनानगर - 250 - 407
अंबाला- 200- 34
जींद - 250 - 53
कैथल - 220 - 224
करनाल - 700 - 266
कुरुक्षेत्र - 300 - 163
पानीपत - 200 - 73