यमुनानगर में निर्धारित मानकों से छह गुणा ज्यादा प्रदूषण, प्रशासन मौन
यमुनानगर में प्रदूषण का स्तर खराब स्थिति पहुंच गया है। ऐसा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बता रहे हैं। शहर में निर्धारित मानकों से छह गुणा ज्यादा प्रदूषण हो रहा है। हवा में पीएम 10 की मात्रा 602.8 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज की गई है वहीं पीएम 2.5 का आंकड़ा 301.4 तक पहुंच गया है।
संवाद सहयोगी, जगाधरी : यमुनानगर में प्रदूषण का स्तर खराब स्थिति पहुंच गया है। ऐसा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बता रहे हैं। शहर में निर्धारित मानकों से छह गुणा ज्यादा प्रदूषण हो रहा है। हवा में पीएम 10 की मात्रा 602.8 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज की गई है, वहीं पीएम 2.5 का आंकड़ा 301.4 तक पहुंच गया है। हालांकि बोर्ड ने प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों की मानिटरिग के लिए एसडीओ की ड्यूटी लगाई हुई है। साथ ही उद्यमियों को फैक्टरी से काला धुंआ न निकालने की अंडरटेकिग देने के निर्देश दिए हुए हैं। इसके बावजूद प्रदूषण का स्तर नहीं सुधरा। बोर्ड का दावा है कि 150 इकाइयां ने प्रदूषण न फैलने के संबंध में अंडरटेकिग दी है। वायु गुणवत्ता सूचकांक का ब्यौरा :
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक हवा की शुद्धता को वायु गुणवत्ता सूचकांक यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स के जरिए मापा जाता है। यह मात्रा 0 से 50 के बीच है, तो उसे अच्छा माना जाता है। 51 से 100 के बीच है, तो संतोषजनक, 101 से 200 के बीच को मध्यम, 201 से 300 के बीच को खराब, 301 से 400 के बीच च्बेहद खराब तथा 401 से 500 के बीच की स्थिति गंभीर श्रेणी में मानी जाती है। यमुनानगर में वायु की गुणवत्ता खराब स्थिति में हैं। जो कि 274 दर्ज की गई है। छतों पर जम रही कालिख की परत
शहर की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले काले धुएं की वजह से लोगों के घरों की छतों पर कालिख की परत जम रही है। सबसे ज्यादा खराबा हालात मुखर्जी पार्क, धर्मपुरा, गौरीशंकर कालोनी, शांति कालोनी, केसर नगर के आसपास के क्षेत्र के अलावा यमुनानगर औद्योगिक क्षेत्र के आसपास बसी कालोनियों में देखी जा सकती है। शहरवासी अमन कुमार, राजेश व कुसुम बाला का कहना है कि छत पर नंगे पांव घूमने से पांव कालिख की वजह से काले हो जाते हैं। औद्योगिक इकाइयों से मांगी गई है अंडरटेकिग
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी निर्मल कश्यप ने बताया कि अभी तक 150 औद्योगिक इकाइयों ने अंडरटेकिग दी है। इसमें उन्होंने बॉयलर व चिमनियों से काला धुंआ न छोड़ने के बारे में लिखा है। सभी इकाइयों से अंडरटेकिग मांगी गई है। इस संबंध में एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ भी बैठक हुई थी। धान के सीजन की वजह से हर साल इन दिनों में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। हवा न चलने व उसमें नमी की वजह भी प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है। जब तक बरसात नहीं होती या फिर तेज हवाएं नहीं चलती, तब तक राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।