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बच्चों के दाखिले के लिए सड़कों पर उतरे अभिभावक

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : साहब! नियम 134ए के तहत ली गई परीक्षा में बच्चों का मेरिट में न

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 01:12 AM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 01:12 AM (IST)
बच्चों के दाखिले के लिए सड़कों पर उतरे अभिभावक
बच्चों के दाखिले के लिए सड़कों पर उतरे अभिभावक

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : साहब! नियम 134ए के तहत ली गई परीक्षा में बच्चों का मेरिट में नाम तो आ गया, लेकिन निजी स्कूल संचालक अभी भी आनाकानी कर रहे हैं। दाखिले की प्रक्रिया के नाम पर 14 से 17 औपचारिकताएं पूरी करने की बात कह उन्हें गुमराह किया जा रहा है। ये बातें सोमवार को सड़क पर उतरे अभिभावकों ने जगाधरी के खंड शिक्षा अधिकारी सतीश गोयल के समक्ष रखीं। इससे पूर्व सैकड़ों अभिभावकों ने प्रदर्शन कर सरकार और अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद सभी रोष प्रकट करते हुए डीईओ कार्यालय पहुंचे।

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अभिभावकों का यह भी कहना है कि जब परीक्षा में सौ में से 33 नंबर पाने वाला बच्चा उत्तीर्ण माना जाता है तो यह 55 प्रतिशत की शर्त क्यों रखी गई। साथ ही पास हुए बच्चों से निजी स्कूल संचालक जरूरत से ज्यादा औपचारिकताएं मांग रहे हैं, जो गलत है। अभिभावकों ने ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई की मांग को लेकर बीईओ को ज्ञापन भी सौंपा।

यमुनानगर-जगाधरी के कई स्कूलों के सैकड़ों अभिभावक लेबर कालोनी में भवन कामगार यूनियन के कार्यालय परिसर में एकत्रित हुए। अभिभावकों ने यहां पहले बैठक की। इस दौरान अभिभावकों ने सरकार की ओर से जारी पत्र को ध्यान से पढ़ा। अभिभावक नरेश कुमार, संदीप, परवेश आदि ने बताया कि वे गरीब हैं। वे भी अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए उनके बच्चों ने सरकार की शर्त के मुताबिक परीक्षा दी। परीक्षा पास भी कर ली। इसके बावजूद उनको नहीं लगता कि निजी स्कूल उनके बच्चों को अपने स्कूलों में आसानी से प्रवेश दे पाएंगे। उनका कहना है कि हरियाणा शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में सौ में से 33 नंबर पाने वाला पास होता है, लेकिन यहां 55 प्रतिशत अंक की शर्त रखी गई। ऐसे बहुत से बच्चे हैं, जिनके 40 से 54 प्रतिशत तक नंबर आए हैं। इन नंबरों के आने के बाद भी उनको निजी स्कूल में प्रवेश नहीं मिल रहा। पहली काउंस¨लग में उनको स्कूल अलाट नहीं किया गया। इस बारे में जब उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में संपर्क किया तो उनको बताया गया कि उनके बच्चे पहली शर्त को पूरा नहीं करते। इस कारण उनका दाखिला निजी स्कूल में नहीं हो सकता। वह अधिकारियों के इस जवाब से संतुष्ट नहीं है। उक्त लोगों का कहना है कि सरकार ने ऐसी कोई शर्त नहीं रखी, यह अधिकारियों तथा स्कूलों की ही मिलीभगत लगती है। इसका खामियाजा उनके बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। अगर विभाग के अधिकारी सही है, तो वह अभिभावकों को गाइड लाइन दिखाए।

अभिभावकों ने बताया कि एक प्रतिशत कम नंबर वाले बच्चे को भी दाखिला नहीं दिया जा रहा है। यह सरासर गलत है। उनकी मांग है कि जिन बच्चों के एक से दो प्रतिशत कम नंबर है, उनके पेपर दोबारा चेक करने की इजाजत दी जाए। उनको पूरा यकीन है कि रीचे¨कग में पास हो जाएंगे। उनको भी निजी स्कूलों में दाखिला मिल पाएगा। वह इस मांग को लेकर बीईओ से मिले थे, लेकिन उन्होंने ऐसा कोई प्रावधान नहीं होने की बात कही। उनको निराश होकर वापस लौटना पड़ा।

..नहीं देना चाहते दाखिल

अभिभावकों ने बताया निजी स्कूल में दाखिले के बदले 17 प्रकार की औपचारिकताएं पूरी करने की बात कही जा रही हैं। जब सरकार ने आधार कार्ड लागू कर दिया है, तो राशन कार्ड और वोटर कार्ड तथा पति-पत्नी के पेन कार्ड मांगे जा रहे हैं। यह कोई औचित्य नहीं बनता। यही नहीं आइटीआइ स्थित एक निजी स्कूल तो दाखिले के बदले पैसे भी मांग रहा है। दाखिले संबंधी पत्र नहीं मिलने की बात कह कर अभिभावकों को परेशान भी किया जा रहा है।

¨हदी मीडियम में दे रहे दाखिला

अभिभावक अनिल धारिया ने खंड शिक्षा अधिकारी को मांग पत्र देकर बताया कि उसकी बेटी अंशिका ने 82 प्रतिशत अंक के साथ परीक्षा पास की है। उसे कैंप स्थिति स्कूल अलाट किया गया था, लेकिन वहां सीट नहीं है। इस पर उसकी बेटी को स्कूल की दूसरी ब्रांच ¨हदी मीडियम में शिफ्ट किया जा रहा है, लेकिन वह अपनी बेटी को इंग्लिश मीडियम में ही पढ़ाना चाहता है। बीईओ ने उसको मामले में निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया।

'..ले रहे मोटी रकम'

प्रदर्शन कर रहे कई अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि निजी स्कूल संचालकों की नियत ठीक नहीं है। वे अपनी मनमर्जी वाली जगह किताबें बिकवा रहे हैं। जो शहर के अन्य बुक स्टालों पर नहीं मिलतीं। जबरन ड्रेस के भी अनाप-शनाप पैसे लिए जा रहे हैं। हमारी मांग है कि इस प्रकार की लूट-खसूट को बंद कराया जाए।

वे सरकार की गाइड लाइन का अनुपालन कर रहे हैं। अभी तक 55 प्रतिशत लेने वाले बच्चे ही नियम 134ए के तहत निजी स्कूल में दाखिला लेने के योग्य पात्र हैं। नियम के अनुसार 33 प्रतिशत अंक पाने वाला बच्चा पास नहीं है। जिन बच्चों के नंबर 54 प्रतिशत भी हैं, उसको भी दाखिला नहीं दिया जा सकता। पास हुए बच्चों को विभाग की ओर से निजी स्कूल अलाट कर दिए गए हैं। साथ ही जो अभिभावक स्कूल बदलवाने के लिए उनके पास आ रहे हैं, वह उनको बदल भी रहे हैं। जिन स्कूलों में नियमों की अवहेलना की जा रही है, वह जांच कर उनको नोटिस जारी कर जवाब मांगेंगे।

सतीश गोयल, बीईओ जगाधरी।


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