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मुआवजे के लिए धरने पर बैठे किसान की तबीयत बिगड़ी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रीयल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपो

By Edited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 03:05 AM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 03:05 AM (IST)
मुआवजे के लिए धरने पर बैठे किसान की तबीयत बिगड़ी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रीयल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन (एचएसआइआइडीसी) के लिए अधिगृहीत जमीन के मुआवजे मांग को लेकर धरने पर बैठे किसान की तबीयत बिगड़ गई। किसान की हालत गंभीर होती देख चंडीगढ़ पीजीआइ रेफर कर दिया। सामान्य अस्पताल से किसान को उपचार मिलना तो दूर एंबुलेंस की सुविधा तक नहीं मिल पाई। फिजिशियन न होने के हवाला देकर सामान्य अस्पताल से जगाधरी रेफर कर दिया गया और जगाधरी से पीजीआइ। जगाधरी से एंबुलेंस न मिलने से निजी वाहन में किसान को पीजीआइ ले जाना पड़ा।

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अधिग्रहण होने के बाद जमीन का पूरा मुआवजा न मिलने से गुस्साए किसान एचएसआइआइडीसी कार्यालय के समक्ष धरने और भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। सोमवार रात करीब दो बजे धरना स्थल पर सोए हुए मानकपुर निवासी करीब 65 वर्षीय किसान धूम ¨सह के सीने में दर्द होने लगा। इस दौरान प्राथमिक उपचार देकर किसान को लिटा दिया। मंगलवार सुबह करीब नौ बजे एक बाद फिर तबीयत बिगड़ गई। इस दौरान धरना स्थल पर बैठे अन्य किसानों ने एंबुलेंस मंगवाई और किसान को सामान्य अस्पताल यमुनानगर में भेजा। किसान फतेह ¨सह और रमनदीप ¨सह ने बताया कि करीब आधा घंटा भटकने के बाद उनको यह कहकर जगाधरी रेफर कर दिया कि इस अस्पताल में फिजिशियन नहीं है। वह दो माह की डेपुटेशन पर गया हुआ है। इस दौरान मरीज दर्द से कहराता रहा, लेकिन आधा घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा। काफी हो-हल्ला करने के बाद एंबुलेंस आई और किसान को जगाधरी के सामान्य अस्पताल ले जाया गया। यहां भी अस्पताल में किसान को उपचार नहीं मिला और तैनात चिकित्सकों ने पीजीआइ रेफर कर दिया। हद तो उस समय हो गई जब यहां से पीजीआइ ले जाने के लिए भी एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पाई। जिस किसान की तबीयत खराब हुई है, वह एक दिन पूर्व भूख हड़ताल पर बैठा हुआ था।

किसानों ने जताया रोष

किसान ओंकार ¨सह, जसपाल ¨सह आदि का कहना है कि जिस जिले से सत्ता पक्ष के चार-चार विधायक हों, उस जिले में किसानों का यह हाल और अस्पताल में अव्यवस्था होनी दुर्भाग्य की बात है। विस अध्यक्ष और सीपीएस जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हों, उस जिले के सरकारी अस्पतालों में उपचार मिलना तो दूर एंबुलेंस तक नहीं मिल पा रही है। एक किसान को तबीयत बिगड़ने पर उसको उपचार नहीं मिला, यह शर्मनाक बात है। मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को की जाएगी। तबीयत बिगड़ने के बाद किसान दर्द से कहराता रहा, लेकिन उसका उपचार नहीं मिला। निजी अस्पताल में उपचार कराने के लिए किसानों के पास पैसे नहीं हैं और सरकारी में सेवाएं नहीं मिल रही हैं। ऐसे में कहां जाएं, सत्ता पक्ष को इन सवालों का जवाब देना चाहिए।

धरना 21वें दिन में प्रवेश

किसान मोहन ¨सह और सुख¨वद्र ¨सह ने बताया कि मुआवजे की मांग को लेकर किसानों को धरना 21वें दिन में प्रवेश कर गया, लेकिन आज तक किसी ने सुध तक नहीं ली। मंगलवार को किसान धूम ¨सह की तबियत बिगड़ने के बाद भी न कोई अधिकारी और न ही कोई सत्ता पक्ष का नेता धरना स्थल पर तक पहुंचा। किसान ने किसान की सुध तक नहीं ली। उन्होंने बताया कि एचएसआइआइडीसी फेस-दो के लिए 2007 में ऊधमगढ़, गढ़ी बंजारा और मानकपुर तीन गावों की करीब 260 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। दो वर्ष बाद 2009 में आठ लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से किसानों को मुआवजा मिला, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। पूरे मुआवजे की मांग को लेकर किसानों ने न्यायालय की शरण ली और वर्ष 2010 में केस दायर कर दिया। अप्रैल, 2015 में न्यायालय दारा एचआइआइडीसी को 30 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से किसानों को मुआवजा देने के निर्देश दिए। किसानों ने बार-बार मांग की, लेकिन आज तक उनकी जमीन का पूरा मुआवजा नहीं मिला।

पहले से डॉक्टर तैनात था : एमएस

एमएस डॉ. विजय दहिया का कहना है कि मरीज आने की सूचना पहले ही मिल गई थी और मरीज के पहुंचने से पहले ही अस्पताल में डॉक्टर तैनात था। फिजिशियन डेपुटेशन पर गया हुआ है, इसलिए जगाधरी रेफर किया गया था।

कराएंगे जांच : सीएमओ

सीएमओ डॉ. रमेश कुमार ने बताया कि मरीज को अस्पताल में क्या दिक्कत आई है, इस बारे उनको जानकारी नहीं है। एंबुलेंस क्यों नहीं मिली। इस बात की भी जांच कराएंगे। अभी चंडीगढ़ मी¨टग में हूं। पहुंचते ही संज्ञान लिया जाएगा।


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