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लक्कड़ के साथ श्रमिकों का हक भी चीर रहे हैं वुड व्यापारी, अब जांच के लिए टीम का गठन

लक्कड़ के साथ श्रमिकों का हक भी चीर रहे हैं वुड व्यापारी अब जांच के लिए टीम का गठन

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Jun 2019 02:17 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jun 2019 06:36 AM (IST)
लक्कड़ के साथ श्रमिकों का हक भी चीर रहे हैं वुड व्यापारी, अब जांच के लिए टीम का गठन
लक्कड़ के साथ श्रमिकों का हक भी चीर रहे हैं वुड व्यापारी, अब जांच के लिए टीम का गठन

पोपीन पंवार, यमुनानगर :

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प्लाईवुड कारोबार करने वाले ईपीएफ में हेराफेरी कर रहे हैं। श्रमिकों का अंशदान हड़पने वालों पर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। ईपीएफओ के कमिश्नर मंयक बंसल ने इनकी जांच के लिए विशेष टीम का गठन किया है। रिकार्ड खंगालने के बाद टीम संबंधित फर्म पर जुर्माना और केस दर्ज कराएगी। सहयोग नहीं करने वाले व्यापारियों के मामले में पुलिस की मदद ली जाएगी। स्टाफ पूरा होने से बढ़ी चौकसी

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन का मुख्य कार्यालय करनाल में है। पूर्व में यहां पर चंद कर्मचारी ऑफिस चलाते थे। कर्मचारियों को ईपीएफ की सुविधा मिले, इसके लिए सरकार ने जिले में क्षत्रीय कमिश्नर की नियुक्ति कर दी। साथ में इंस्पेक्टर, इंफ्रोसमेंट, रिकवरी सहित अन्य विग के अधिकारी भी तैनात कर दिए, क्योंकि जिले में पांच हजार के करीब छोटी बड़ी इंडस्ट्री और संस्थान है। इसके लिए अलावा सरकारी विभाग व मनरेगा में भी काफी श्रमिक काम करते हैं। काम करते हैं लाखों कर्मचारी, रिकॉर्ड है हजारों

वुड बेस लाइसेंस ओपन होने के बाद जिले में प्लाईवुड, आरा, चिप्पर और पीलिग की इकाइयां एक हजार से बढ़कर 1250 का आंकड़ा पारकर गई। तीन सौ के करीब नई इंडस्ट्री स्थापित हुई। बोर्ड की एक इंडस्ट्री में 150 से 200 श्रमिक काम करते हैं। जिले के केवल 1400 संस्थानों के नाम दर्ज जो मात्र 24 हजार कर्मचारियों को ईपीएफ और 32 हजार को ईएसआइ की सुविधा दे रहे हैं। वुड कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि जिले में डेढ़ लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं। मेटल में भी इतनी ही संख्या है। बड़ी बात ये है कि रिकॉर्ड में ये संख्या नजर नहीं आती। कर्मचारी भी डर के कारण चुप रहते हैं। कमेटी बनाकर जांच शुरू कर दी हैं हमने : कमिश्नर

ईपीएफ के कमिश्नर मयंक बंसल का कहना है कि वुडबेस इंडस्ट्री में काफी संख्या में श्रमिक काम करते हैं। अधिकतर को ईपीएफ के हक से दूर रखा जा रहा है। ये संज्ञेय अपराध की श्रेणा में आता है। इसकी जांच के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है। ये बात भी सच है कि व्यापारी इस जांच में टीम का सहयोग नहीं कर रहे हैं। ऐसे व्यापारियों की लिस्ट अलग से तैयार की जा रही है।


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