महिलाओं ने पुत्र की दीर्घायु को लेकर रखा व्रत, फिर किया मतदान
अहोई अष्टमी पर महिलाओं ने पहले पुत्र की दीर्घायु को लेकर व्रत रखा। उसके बाद मतदान केंद्र पर मतदान करने पहुंची। वहां से लौटकर अहोई माता की कहानी सुनी। शाम को तारा देखकर व्रत पूरा किया।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : अहोई अष्टमी पर महिलाओं ने पहले पुत्र की दीर्घायु को लेकर व्रत रखा। उसके बाद मतदान केंद्र पर मतदान करने पहुंची। वहां से लौटकर अहोई माता की कहानी सुनी। शाम को तारा देखकर व्रत पूरा किया।
मतदान केंद्र नंबर 22 पर आई संगीता ने बताया कि आज अहोई है। उन्होंने भी व्रत रखा है। पहले सोचा कि मतदान करने सुबह ही जाऊंगी। जिस वक्त यहां पहुंची तो उस समय लाइन लग चुकी थी। पांच साल में एक बार वोट डालने का मौका मिलता है। इसलिए उन्होंने वोट डालकर मां के साथ जिम्मेदार नागरिक का फर्ज निभाया है। इसी तरह बूथ नंबर 24 पर आई पिकी सैनी ने बताया कि उन्होंने भी बेटे के लिए व्रत किया है। अभी तक चाय आदि नहीं ली। उन्होंने पहले ही सोच रखा था मतदान के बाद ही कहानी सुनेंगी। कैंप एरिया के बूथ नंबर 174 पर मतदान के लिए परिवार संग आई सीमा ने बताया कि जब भी मतदान का मौका मिलता है। वे छोड़ती नहीं हैं। वे एक जिम्मेदार मां के साथ जागरूक नागरिक भी हैं। उनको वोट का महत्व पता है। एक वोट हार जीत का फैसला तय करने में काफी है। इसी सोच के साथ उन्होंने मतदान किया। बेटे के लिए व्रत भी किया। भगवानगढ़ बूथ पर मतदान के लिए आई संगीता शर्मा ने बताया कि जब संविधान ने मतदान का अधिकार दिया है। वे इसे छोड़े क्यों। इससे पूर्व के चुनवों में भी उन्होंने मत का उपयोग किया है। वे परिवार के कहने से नहीं अपनी समझ से वोट डालती हैं। आती जरूर परिवार के साथ हैं। व्रत भी रखा है। अब घर जाकर अहोई माता की कहानी सुनेगी। उसके बाद शाम को तारा देखकर अपने व्रत को पूरा करेंगी।
गन्ना और सिघाड़ा की रही मांग
अहाई अष्टमी पर गन्ने के रेट भी एकाएक बढ़ गए। प्रति गन्ना विक्रेताओं ने 20 रुपये में बेचा। इसी तरह सिघाड़ा भी 30 से 50 रुपये किलो बेचा गया। एक दिन पहले ही बाजार में गन्ने बेचने के लिए विक्रेता पहुंच गए थे। सबसे ज्यादा भीड़ मधु चौक, फव्वारा चौक, पेपर मिल के नजदीक देखने को मिली। विक्रेता मनोज ने बताया कि बहुत से परिवार ऐसे हैं जो पूजन में गन्ने के साथ पूजन विधि को संपूर्ण करते हैं। साथ ही मटकी की मांग रही। अहोई माता के चित्र के सामने इसमें पानी भरकर रखा जाता है। चांदी के छोटे बर्तन भी कुछ परिवार पूजन में रखते हैं।