नई एंबुलेंस की स्टपेनी कर दी दूसरी गाड़ियों में कर दी फिट, रास्ते में न टूट जाए सांसों की डोर
बीमारों और घायलों को यदि समय पर एंबुलेंस की मदद से अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है। मरीज ले जा रही एंबुलेंस का टायर बीच रास्ते में यदि पंक्चर हो जाए और उसमें स्टेपनी भी न हो तो ड्राइवर उस हालात में क्या करेगा।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बीमारों और घायलों को यदि समय पर एंबुलेंस की मदद से अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है। मरीज ले जा रही एंबुलेंस का टायर बीच रास्ते में यदि पंक्चर हो जाए और उसमें स्टेपनी भी न हो तो ड्राइवर उस हालात में क्या करेगा। उसमें लेटे मरीज की जान पर क्या बनेगी यह तो वक्त ही बताएगा। स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस में कुछ ऐसा ही हो रहा है। इस साल विभाग को जो 13 नई एंबुलेंस मिली थी, उनमें से कई में स्टपनी ही नहीं है। विभाग मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है।
जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास कुल 17 हैं। कंडम होने के कारण इनमें से 13 एंबुलेंस को बदला गया है। इनमें टाटा की विगर की सात गाड़ियां सबसे पहले मिली थी। इसके बाद छह एंबुलेंस कुछ माह पहले आई। इन्हीं छह में से कई एंबुलेंस की स्टेपनी यमुनानगर के सिविल अस्पताल से चंडीगढ़ जाने वाली एंबुलेंस में फिट कर दी, क्योंकि इन एंबुलेंस के टायर घिस चुके थे, जबकि विभाग को उनके लि नए टायर खरीदने थे।
नए टायर खरीदने का बना रहे दबाव
एंबुलेंस के नए टायर खरीदने में किस स्तर पर देरी हुई ये जांच का विषय है। बताया जा रहा है कि अब जिन एंबुलेंस में स्टेपनी नहीं है, उनके चालकों पर नए टायर खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है। उनसे नए टायर के प्रपोजल भी मांगे गए, परंतु चालकों ने नए टायर खरीदने से साफ मना कर दिया है। वे एंबुलेंस की स्टपनी को ही वापस मांग रहे हैं, क्योंकि स्टपनी होते हुए भी चालक नए टायर खरीदते हैं, तो वे ऑडिट करने वालों के निशाने पर आ सकते हैं। यही वजह है कि जिन एंबुलेंस में स्टपनी नहीं है, वे मरीजों को चंडीगढ़ ले जाने से साफ मना कर देते हैं। क्योंकि रास्ते में टायर पंक्चर हुआ तो पहले उन्हें इसे लगाने के लिए दुकान देखनी पड़ेगी। तब तक मरीज के साथ कुछ भी हो सकता है। चंडीगढ़ न जाने वालों की गैर हाजिरी लगा दी जाती है।
इसकी जांच कराई जाएगी : डॉ. कुलदीप
सिविल सर्जन डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि एक-दो गाड़ी की स्टेपनी दूसरी एंबुलेंस में डलवाई थी। उन्हें टायर दे दिए गए थे। यदि अब किसी एंबुलेंस में स्टपनी नहीं है तो इसकी जांच कराई जाएगी।