किचन गार्डेनिग के साथ, पौधे वितरत कर रहे अंकित
एक ओर विकास के नाम पर पेड़ पौधों को काटकर सड़क और मैदान को वीरान किया जा रहा है। दूसरी ओर कुछ लोग अपने घर के छत व आंगन को हरा भरा बागान में तब्दील रहे हैं। सिविल लाइंस जगाधरी के अंकित गोयल भी वैसे लोगों में से हैं जिन्होंने अपने घर आंगन में पौधे लगाकर पर्यावरण को बचाने का संदेश दे रहे हैं।
नितिन शर्मा, यमुनानगर : एक ओर विकास के नाम पर पेड़ पौधों को काटकर सड़क और मैदान को वीरान किया जा रहा है। दूसरी ओर कुछ लोग अपने घर के छत व आंगन को हरा भरा बागान में तब्दील रहे हैं। सिविल लाइंस जगाधरी के अंकित गोयल भी वैसे लोगों में से हैं, जिन्होंने अपने घर आंगन में पौधे लगाकर पर्यावरण को बचाने का संदेश दे रहे हैं।
अंकित गोयल मेटल व्यापारी होने के कारण व्यस्त रहते हैं। फिर भी गार्डनिग में रुचि रखते हैं। वह केवल घर तक ही सीमित नहीं है। लोगों को भी पौधे लगाने के लिए प्रेरित करने का काम करते हैं। वे अबतक एक हजार पौधे वितरित कर चुके हैं। कही धार्मिक कार्यक्रम होता है तो वहां तुलसी के पौधे देते हैं। अंकित बताते हैं कि औद्योगिक नगरी में प्रदूषण ज्यादा है। ये बात सभी करते हैं। बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इससे बचाव के लिए यानी हरियाली के लिए प्रयास करते हो। उनका मानना है जितने अधिक पौधे होंगे उतनी ही धरती की सुंदरता बढ़ेगी। पर्यावरण शुद्ध रहेगा। ये काम मुश्किल नहीं है। जरूरत है इच्छा शक्ति की। इसकी शुरुआत हम खुद से कर सकते हैं। घर पर जगह न हो तो गमले में पौधे रोपित किए जा सकते हैं। साथ ही नियमित देखभाल भी जरूरी है।
गोयल बताते हैं, उनके घर में खाली जमीन नहीं है। इसलिए आंगन में बहुत सारे गमले रखे हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए हुए हैं। रोजाना इनको समय देते हैं। वह यह मानते हैं कि अगर ध्यान नहीं दिया तो पौधे सूख जाते हैं। आंगन को उन्होंने बागान जैसा बना लिया है। इससे एक तो प्रकृति को प्रदूषण से बचा सकते हैं, दूसरी ओर खाली समय का पूरा इस्तेमाल होता है। वे जब इन पौधों की देखभाल करते हैं तो उनको बहुत सुकून मिलता है।
परिवार में जब भी किसी सदस्य का जन्मदिन आता है तो वे एक पौधा उसके नाम को रोपित कराते हैं। इसके लिए पड़ोस के लोगों को भी जागरूक करते हैं। पार्क व अन्य स्थानों पर जाते हैं तो जहां जगह दिखाई देती है पौधे खरीद कर लाते हैं। उस जगह पर रोपित करते हैं। वहां मौजूद लोगों को इसके पीछे का उद्देश्य भी विस्तार से बताते हैं। जिस जगह पौधे रोपित करते या कराते हैं वहां की देखभाल संबंधित व्यक्ति को दे जाते हैं। बाद में खुद भी आकर देखते हैं कि पौधा कही सुख तो नहीं रहा। इसके लिए खाद की व्यवस्था भी कराते हैं। जिस पार्टी में जाते हैं वहां भी लोगों को पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं। इनके प्रयास से काफी पौधे अब तक रोपित कराए जा चुके हैं। बेटे के कहने से रोपित किया पहला पौधा
एमबीए पास अंकित बताते हैं कि बेटे अर्श के पहले जन्मदिन का मौका था। वे उसके लिए सामान लेकर आए। उनके बेटे ने कहा क्यों न हम कुछ अलग से करें। इसपर उन्होंने पौधा लगाने के लिए कहा। स्वच्छ पर्यावरण देना सब की जिम्मेदारी है। वे खुद भी तैयार हुए। पौधा रोपित किया। तभी से ये सिलसिला चल रहा है। भावी पीढ़ी को जागरूक करना जीवन का लक्ष्य बना लिया है।